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खुलेआम घूमते हैं लफंगे सुअर, बीमारियों के खतरे से हलकान शहरवासी

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खुलेआम घूमते हैं लफंगे सुअर, बीमारियों के खतरे से हलकान शहरवासी, ग्रामीण इलाके में भी दहशत में हैं लोग, निपह वायरस का खतरा लोगों को पहले से बना रहा है बीमार, नगर परिषद और सरकारी हाकिमों ने खड़े किए अपने हाथ.

सिटी पोस्ट लाइव, स्पेशल रिपोर्ट : देश के कई हिस्सों में निपह वायरस ने अपने पांव पसार रखे हैं। लोगों की मौत थोक में हो रही है लेकिन इसके वैज्ञानिक उपाय अभीतक तलाशे नहीं जा सके हैं। हांलांकि बिहार अभी इस वायरस की जद से अभी बाहर है लेकिन इस वायरस की आशंका भर से लोग दुबले हो रहे हैं। सहरसा नगर परिषद में 40 वार्ड हैं। अभी सहरसा की सबसे बड़ी जटिल समस्या है लगातार सुअरों की जनसंख्यां में इजाफा। जिस कारण ये लफंगे सुअर आपको हर तरफ घुमाते नजर आ जायेंगे. हालत ये है कि आप दिन से लेकर रात तक, किसी भी समय किसी वार्ड की तरफ से निकलें तो सुअरों के झुंड बारात की शक्ल में आपको मिल जाएंगे।सड़कों और गलियों में मंडराते सुअरों की यह टोली अक्सर मौके की ताक में रहते हैं और किसी के घर घुसने से भी इन्हें कोई परहेज नहीं है। ये लफंगे किसी भी घर में घुसकर आसपास की नाली या अन्य जगहों को वे अपने मुंह से ऐसे खोद डालते हैं जैसे लगता है कि पगार लेकर मजदूरों ने इस काम को अंजाम दिए हैं। लोग सुअरों की हरकत से पूरी तरह परेशानहाल हैं। सुअरों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। वार्ड पार्षद कहते हैं कि वे सुअरों के आतंक का समाधान निकालने की लगातार अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं लेकिन परिणाम सिफर आ रहा है। हद तो यह है कि सुअरों के साथ ना तो सुअर के मालिक होते हैं और ना ही उसकी कोई रखवाली करने वाला। सुअर अपनी मर्जी से विभिन्न वार्डों में इस तरह से तफरीह करते हैं, गोया सारा इलाका उनकी जमींदारी का हिस्सा हो।इस बाबत हमने नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी नीलाभ कृष्ण से बातचीत की। उन्होनें स्वीकारा की सुअरों की जनसंखया में लगातार वृद्धि हो रही है। वे सुअर पालकों को अपने सुअरों को संभाल कर रखने का निर्देश जारी करने जा रहे हैं। शुरू में आवारागर्दी में तल्लीन सुअरों के मालिक पर पहले तो आर्थिक जुर्माना का प्रावधान किया जाएगा। अगर इससे बात नहीं बनी तो जिला और प्रमंडल से लेकर राज्य के बड़े अधिकारियों के साथ मीटिंग करके सुअरों से कैसे निपटा जाए,इसके लिए ठोस उपाय तलाशे जाएंगे। आपको यह बताने में हमें कोई गुरेज नहीं है कि सुअरों के भय से अमूमन गृहस्वामी अपने घर की चहारदीवारी में लगे ग्रिल में सदैव ताले जड़कर रखते हैं। चूंकि सुअर पालक समाज के उस तबके से आते हैं,जिनसे लोग उलझना भी नहीं चाहते हैं। जिस रफ्तार में सुअर की आबादी बढ़ रही है, अगर समय रहते सरकार ने कोई ठोस नीति नहीं बनाई, तो किसी बड़ी अनहोनी से बच पाना फिर मिल का पत्थर साबित होगा। जनता कर रही पुकार, हमें सुअरों से बचाओ सरकार।

सहरसा से संकेत सिंह की रिपोर्ट

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