सिटीपोस्टलाईव:एकबार फिर नीतीश कुमार नरेन्द्र मोदी आमने-सामने हो सकते हैं. असम नागरिकता संशोधन विधेयक नीतीश कुमार को एकबार फिर से मोदी के सामने खड़ा कर सकता है.गौरतलब है कि यह बिल 2016 में संसद में पेश हुआ है जिसे संयुक्त संसदीय कमेटी को सौंपा गया है. यह बिल 25 मार्च, 1971 की कट ऑफ डेट के बाद भी बंगलादेश से आने वाले हिन्दुओं को भारत की नागरिकता प्रदान करने के उद्देश्य से लाया गया है, असम एवं मेघालय, दोनों राज्यों में यह लागू होगा. असम में भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद के अलावा कांग्रेस और एआइयूडीएफ इसका विरोध कर रही हैं, जबकि मेघालय कैबिनेट ने प्रस्ताव पारित कर अपना विरोध दर्ज कराया है.
7 मई से 10 मई के दौरान जेपीसी द्वारा असम और मेघालय के दौरे के बाद से असम-मेघालय में बिल को लेकर आंदोलन तेज हो चूका है.खबर है कि नीतेश कुमार इस कदम से नाराज हैं और इस संबंध में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसी सप्ताह पत्र लिखने जा रहे हैं., उनकी पार्टी ने इस विधेयक का संसद में विरोध करने का फैसला ले लिया है.असम नागरिकता संशोधन विधेयक के बहाने एकबार फिर मोदी-नीतीश कुमार हो सकते हैं आमने-सामने.
बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में बनी 18 सदस्यीय जेपीसी में जदयू के राज्यसभा सदस्य हरिवंश सिंह भी शामिल हैं.जेडीयू के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी के अनुसार पिछले सप्ताह ऑल असम स्टूडेंट यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पटना में मिल चूका है.नीतीश कुमार ने इस बिल के विरोध को लेकर उन्हें आश्वस्त कर दिया है.एकबार फिर मोदी-नीतीश कुमार हो सकते हैं आमने-सामने इस मुद्दे को लेकर .
एकबार फिर मोदी-नीतीश कुमार हो सकते हैं आमने-सामने .केसी त्यागी ने कहा कि एनडीए में रहने के का मतलब ये नहीं है कि जेडीयू अपनी अलग समाजवादी पहचान से कोई समझौता करेगा.पार्टी पहले भी स्पष्ट कर चुकी है कि समान आचार संहिता, राम मंदिर और अनुच्छेद 370 पर कोई समझौता नहीं होगा. पार्टी का अभी भी इन मुद्दों पर वही स्टैंड है जो पहले था. केसी त्यागी ने कहा कि रही बात असम सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल की, तो इस मुद्दे को लेकर हम असम और मेघालय में अभियान चलाएंगे. जरूरत पड़ी तो वहां नीतीश कुमार की सभाएं भी आयोजित की जाएंगी.
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