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ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को सुप्रीम कोर्ट की लताड़ ,कहा-जल्दी सुनवाई चाहिए तो हाईकोर्ट जाओ

केंद्र सरकार सोशल मीडिया पर निगरानी रखने की व्यवस्था के विरोध का मामला

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सिटी पोस्ट लाईव :केंद्र सरकार सोशल मीडिया पर निगरानी रखने की व्यवस्था करने जा रही है. इसके लिए केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसलटेंट इंडिया लि. द्वारा  सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए एक टेंडर जारी किया जा चूका है. सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मांगी गई हैं. सरकार इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से एकत्र सूचनाओं को एकत्र करेगी.सरकार के इस सोशल मीडिया कम्यूनिकेशन हब स्थापित करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ कोर्ट ममता बनर्जी की पार्टी  तृणमूल कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट गई है.इस मामले पर जल्द सुनवाई की ममता बनर्जी की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा एतराज जताया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जल्द सुनवाई चाहिए तो हाई कोर्ट जाएं या फिर गर्मियों के अवकाश खत्म होने की प्रतीक्षा करें.

तृणमूल कांग्रेस के वकील निजाम पाशा ने जब कहा कि टेंडर की तारीख सोमवार को  है लेकिन जस्टिस एस अब्दुल नजीर व इंदु मल्होत्रा की बेंच ने इस मामले पर अभी जल्द सुनवाई करने से साफ़ मना कर दिया है.कोर्ट ने साफ़ कह दिया है कि इसका सवाल ही नहीं पैदा होता. अवकाश खत्म होंगे तब आप फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर जल्द सुनवाई की अपील कर सकते हैं. इससे पहले आपके पास हाई कोर्ट जाने का विकल्प है.

तृणमूल की विधायक महुआ मोइत्रा की तरफ से पैरवी कर रहे निजाम पाशा का कहना था कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए केंद्र यह कार्यवाही कर रहा है. इसके बाद ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम व ईमेल में मौजूद हर डाटा तक केंद्र की पहुंच हो जाएगी. निजता के अधिकार का यह सरासर उल्लंघन है. इससे हर व्यक्ति की निजी जानकारी को भी सरकार खंगाल सकेगी. इसमें जिला स्तर तक सरकार डाटा को खंगाल सकेगी.

अनुबंध आधार पर जिला स्तर पर काम करने वाले मीडिया कर्मियों के जरिये सरकार सोशल मीडिया की सूचनाओं को एकत्र करके देखेगी कि सरकारी योजनाओं पर लोगों का क्या रुख है. समाचारों का रुझान किस तरफ है. लोग सरकार के फैसलों से कितना प्रभावित हो रहे हैं. सरकार का तर्क है कि इससे उसे असली फीडबैक मिलेगा और फिर वह योजनाओं में तब्दीली करके उन्हें और ज्यादा जन उपयोगी बनाने का काम कर सकेगी?

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