सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित सफलता मिलने के बाद दुसरे राज्यों में चुनाव लड़ने को लेकर उत्साहित एआईएमआईएम का चुनावी गणित बिगड़ गया है. पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों में चुनाव का बिगुल बज चुका है. पर अभी तक एआईएमआईएम ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. हालांकि, एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि वह सही वक्त पर रणनीति का खुलासा करेंगे.
बिहार चुनाव में शानदार सफलता मिलने के बाद एआईएमआईएम को सबसे ज्यादा उम्मीद पश्चिम बंगाल से थी. बंगाल में करीब तीस फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. इनमें ज्यादातर बंगलाभाषी मुस्लिम है. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के इंडियन सेकुलर फ्रंट के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल में एंट्री करना चाहते थे, पर आईएसएफ ने कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का फैसला लेकर ओवैशी का गणित बिगाड़ दिया है.
चुनाव शुरू हो चुके हैं. एआईएमआईएम के पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है. ओवैसी पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं, तो उन्हें ज्यादा समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि बंगाल में हिन्दी या ऊर्दू भाषी मुस्लिम की तादाद कम है. चुनाव में बीजेपी का प्रचार बेहद आक्रामक है, जिससे ममता के पक्ष में मुस्लिम मतदाताओं के गोलबंदी की संभावना ज्यादा है.असम में मौलाना बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ चुनाव मैदान में है. ओवैसी पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वह असम चुनाव नहीं लड़ेंगे. केरल में भी इंडियन यूनियम मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) है और उसका काफी असर भी है. ऐसे में ओवैसी के पास केरल में भी विकल्प सीमित हैं.
पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के कांग्रेस-लेफ्ट के साथ जाने के बाद लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तमिलनाडु में चुनाव लड़ने का ऐलान किया. तमिलनाडु में एआईएमआईएम ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाई थी.पार्टी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था और दस हजार वोट मिले थे. तमिलनाडु में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद करीब छह फीसदी है। केरल के साथ आईयूएमल तमिलनाडु में कांग्रेस-डीएमके गठबंधन के साथ चुनाव लड़ती है. पिछले चुनाव में आईयूएमएल ने पांच सीट पर चुनाव लड़ा और एक सीट जीती थी. ऐसे में तमिलनाडु में भी बहुत गुंजाइश नहीं है.
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