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नीतीश कुमार के दलित प्रेम पर चिराग पासवान ने साधा निशाना, किए कई बड़े सवाल

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सिटी पोस्ट लाइव : दलितों की हत्या होने पर उनके परिजनों में से एक को नौकरी देने वाले ऐलान पर अब सियासत पूरी तरह गर्म हो चुकी है. जहां पहले इसे लेकर उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सीएम नीतीश पर निशाना साधा था. वहीं अब उनके ही साथी घटक दल इसे लेकर सीएम पर हमलावर हैं. दरअसल सीएम ने कहा था कि किसी दलित की हत्या हो जाती है तो सरकार उनके परिवार में से किसी एक को सरकारी नौकरी देगी. जिसके बाद विपक्ष हमलावर हो गए. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जहां उनपर हत्या की राजनीति करने वाला करार दे दिया, वहीं मायावती ने उन्हें दलितों को वोट बटोरने वाला बताया.

लेकिन अब जिन्होंने उनपर हमला किया है वो कोई और नहीं बल्कि लम्बे समय से नीतीश सरकार की मुसीबत बढ़ाने वाले लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान है. इस मुद्दे को लेकर चिराग पासवान ने फिर एकबार सीएम नीतीश को पत्र लिखा है. इस पत्र के माध्यम से उन्होंने सीएम नीतीश से कई बड़े सवाल किए हैं. उन्होंने पत्र जारी करते हुए कहा कि यदि यह चुनावी घोषणा नहीं है तो पिछले 15 साल में जितने भी दलितों की हत्या हुई है, सभी के परिजनों को सरकार नौकरी दे.

उन्होंने कहा कि एससी-एसटी समाज का कहना कि इसके पूर्व 3 डिसमिल ज़मीन देने का वादा भी सरकार ने पूरा नहीं किया था, जिससे एससी-एसटी समाज को निराशा प्राप्त हुई थी. उन्होंने आगे लिखा है कि हत्या एक अपराध है और अपराधियों में डर न्याय प्रक्रिया का होना चाहिए ताकि हत्या जैसे जघन्य अपराध से बचे. अनुसुचित जाति-जनजाति ही नही बल्कि किसी वर्ग के किसी भी व्यक्ति की हत्या न हो इस दिशा में भी कठोर कदम उठाने की जरूरत है.

वहीं उन्होंने कहा कि पिछले 15 साल में जितने भी एससी- एसटी की हत्या का मामला न्यायालय में लम्बित है, उन्हें फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंपा जाए.  यह दोनो माँग के साथ लोक जनशक्ति पार्टी सहमत है. लोजपा की यह माँग माँगने से सरकार पर सम्पूर्ण बिहारी का विश्वास बढ़ेगा अन्यथा जनता इसको मात्र चुनावी घोषणा मानेगी. जाहिर है चिराग पासवान पिछले कई महीनों से सीएम नीतीश के कार्यों की बखिया उधेड़ने में लगे हैं. ऐसा वे क्यों कर रहे हैं. अभीतक साफ़ नहीं हो पाया है. लेकिन इतना जरुर है कि इन बड़े सवालों के बाद जदयू खामोश नहीं रहने वाली. देखना है कि क्या सीएम नीतीश इसका जवाब देते हैं या खामोश रह जाते हैं.

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