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सीएम नीतीश कुमार ने विधायकों और विधान पार्षदों के वेतन, भत्ते में की वृद्धि

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सीएम नीतीश कुमार ने विधायकों और विधान पार्षदों के वेतन, भत्ते में की वृद्धि

सिटी लाईव पोस्ट : बिहार सरकार ने विधायकों एमएलसी के साथ पूर्व विधायकों को तोहफा देते हुए मूल वेतन से लेकर रेल किराया में इजाफा करने का फैसला लिया है. मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में विधायकों के मूल वेतन में 30 फीसदी की बढोत्तरी करने का निर्णय लिया गया है. बिहार कैबिनेट के इस फैसले को विधानमंडल के आगामी सत्र में सदन में रखा जाएगा और सदन से पारित होते ही इस प्रस्ताव को लागू किया जाएगा.

इस फैसले के लागू होने के बाद बिहार में विधायकों का मूल वेतन 30 हजार से बढ़कर 40 हजार रूपए हो जाएगा. मूल वेतन बढ़ाने के साथ ही क्षेत्रीय भत्ता को भी 45 हजार रुपए से बढ़कर 50 हजार रुपये प्रति महीना हो जाएगा. विधायकों और एमएलसी पर मेहरबानी दिखाते हुए सरकार ने विधायकों को लग्जरी गाड़ी के लिए एडवांस राशि देने संबंधी फैसले को भी अपनी सहमति दी.
नए फैसले के मुताबिक 10 लाख से 15 लाख रुपए विधायकों को लग्जरी गाड़ी खरीदने के लिए एडवांस राशि के तौर पर दी जाएगी.

कैबिनेट की बैठक में विधायकों को स्टेशनरी के लिए 10 हजार और निजी सहायक के लिए 20 हजार प्रतिमाह से बढ़कर 30 हजार रुपये, रेल और प्लेन के लिए 2 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये सालाना करने का फैसला लिया गया है. नीतीश कुमार के  अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुल चार एजेंडों पर मुहर लगाईं गई. बैठक में अनुपूरक बजट को लेकर सहमती बनी. मंगलवार को हुई कैबिनेट कि बैठक में राज्य के सभी परम्परागत विश्वविद्यालयों एवं उनके अधीनस्थ अंगीभूत महाविद्यालयों से सेवानिवृत्त पेंशनरों या पारिवारिक पेंशनरों के चिकित्सा भत्ते में दो सौ रुपये प्रतिमाह की बढ़ोतरी की जाएगी.

बिहार में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के अन्तर्गत जुवेनाइल जस्टिस से जुड़े मामलों के पर्यवेक्षण एवं इसे प्रभावी रुप से लागू करने हेतु अपर निबंधन जिला न्यायाधीश कोटि के एक एवं रिसर्च ऑफिसर, सिविल जज, सीनियर डिवीजन कोटि के एक तुस जो पद का 30,22,483 रुपये मात्र के कुल अनुमानित वार्षिक व्यय भार पर सृजन की स्वीकृति प्रदान की गई. गौरतलब है बिहार सरकार के इस फैसले के लागू होते ही इसका अतिरिक्त भार बिहार के सरकारी खजाने पर पड़ेगा. वहीं नेता अपनी वेतन एवं भते को बढ़ा रहे हैं जबकि जनता मंहगाई के बोझ से दबी हुई एवं त्रस्त है. ऐसे में विधानसभा सदस्यों के वेतन वृद्धि का फैसला लेना लोगों के बीच कई सवाल खड़े करेगा. जिसका जवाब देना आसान नहीं होगा.

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