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उप-चुनाव से सरकार नहीं लेकिन बनेगा और बिगड़ेगा गठबंधन

नीतीश कुमार के सामने बड़ा भाई बने रहने की तो बीजेपी के सामने हिन्दुओं के गोलबंदी की चुनौती है.

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उप-चुनाव से सरकार नहीं लेकिन बनेगा और बिगड़ेगा गठबंधन

सिटी पोस्ट लाइव :  बिहार आज 5 विधान सभा और 1 लोक सभा सीट के लिए उप-चुनाव हो रहा है. इस उप-चुनाव से न तो किसी की सरकार बननी है और ना ही बिगडनी है. फिर सबसे बड़ा सवाल- फिर क्यों उप-चुनाव बन गया है NDA और महागठबंधन के लिए मूंछ का सवाल? क्यों दोनों गठबंधन लगा रहे हैं ये उप-चुनाव जीतने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर ? दरअसल, सबके जेहन में ये सवाल हैं और उसका जबाब देना बेहद जरुरी है.

दरअसल, एक लोकसभा और पांच विधानसभा सीटों के उप-चुनाव से कोई सरकार बनेगी और बिगड़ेगी नहीं लेकिन गठबंधन का स्वरूप जरुर बदल जाएगा.इस चुनाव परिणाम का सबसे ज्यादा असर गठबंधन की सेहत पर पड़नेवाला है. इस उपचुनाव के परिणाम से बिहार की राजनीति और 2020 के विधानसभा चुनाव की रणनीति की दशा दिशा तय होगी. बीजेपी जेडीयू की प्रतिष्ठा इस मायने में दांव पर है कि लोकसभा चुनाव में जो बंपर जीत हुई थी, उस जीत के सिलसिले को उसे हर कीमत पर बरकरार रखना है.महागठबंधन के लिए और भी जरुरी है क्योंकि इससे उसके समर्थकों के बीच एक संदेश जाएगा कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को भी चुनौती दी जा सकती है.

चुनाव होने से पहले ही अमित शाह ने तस्वीर साफ कर दी कि बिहार में एनडीए का नेतृत्व नीतीश कुमार के ही हाथ में रहेगा. इसका लाभ  बीजेपी-जेडीयू को उप-चुनाव में मिल सकता है. दूसरी ओर एक एक सीट के लिए महागठबंधन को खतरे में डाल चुके महागठबंधन के घटक दल के नेताओं की राजनीतिक ताकत का अंदाजा लग जाएगा. इस उप-चुनाव से तेजस्वी यादव को ये अंदाजा हो जाएगा कि हम पार्टी और वीआइपी पार्टी का जनाधार कितना है. उनमे महागठबंधन को जीताने और हारने की कितनी ताकत है.

महागठबंधन में सभी घटक दलों के बीच छत्तीस का रिश्ता है.किसी भी दल को तेजस्वी यादव का नेत्रित्व मंजूर नहीं है.यहीं वजह है कि उप-चुनाव में सीटों को लेकर कोई तालमेल नहीं हुआ. भागलपुर के नाथनगर सीट ने जीनराम मांझी की पार्टी हम ने तो सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर से वीआईपी पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े कर आरजेडी की मुश्किलें बढा दीं. इस उपचुनाव में सबसे अधिक नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है. महागठबंधन की ओर से नेता के रुप में नकार दिये गए तेजस्वी यादव को चुनाव जीतकर घटक दलों को अपना नेत्रित्व स्वीकार करने के लिए मजबूर कर देने की चुनौती है वहीँ जेडीयू के नीतीश कुमार को आगामी विधान सभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में बने रहने के लिए यानी बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के अपने दावे को मजबूत करने के लिए सभी सीटों पर जीतना बेहद जरुरी है.

समस्तीपुर लोक सभा सीट से रामविलास पासवान के भाई रामचन्द्र पासवान के बेटे प्रिंस राज चुनाव मैदान में हैं. उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी ने भी ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था.दूसरी तरफ कांग्रेस के उम्मीदवार अशोक राम जिन्हें महागठबंधन का कोई खास समर्थन सहयोग नहीं मिला, अपनी साख बचाने की चुनौती है. समस्तीपुर सुरक्षित सीट पर यादव मतदाता 32% कुशवाहा मतदाता 24% सवर्ण वोटर 18% मुस्लिम वोटर 12% और अन्य वर्ग के मतदाता 14 ℅ हैं.ये आगे के चुनाव में किसका साथ देगें, इस  उप-चुनाव में ही पता चल जाएगा.

किशनगंज से बीजेपी चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने अल्पसंख्यक बहुल इस विधान सभा क्षेत्र से अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारा है वहीँ बीजेपी ने गैर-अल्पसंख्यक उम्मीदवार उताकर गई-अल्प्संखयक यानी हिन्दुओं के गोलबंदी की चुनौती से जूझ रही है.किशनगंज सीट परंपरागत रुप से कांग्रेस की सीट मानी जाती है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इसी एकमात्र सीट पर जीत हासिल कर महागठबंधन की कुछ हद तक इज्जत बचायी थी. कांग्रेस से डाक्टर जावेद यहां से विधायक थे जिन्होंने महागठबंधन की ओर से एकमात्र सीट जीती. कांग्रेस ने उपचुनाव में डा जावेद की मां शाहिदा बानो को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर मुकाबला कड़ा होने के आसार हैं क्योंकि कांग्रेस की मुश्किल यहाँ औवेसी की पार्टी AIMIM ने  अपने उम्मीदवार खड़ा कर बढ़ा दी है.

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