सिटी पोस्ट लाइव : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग से कहा कि वह मतदाताओं की वोट पर्ची (वीवीपैट) मशीनों में संशोधन पर विचार करने को कहा है, ताकि मतदाता गलत मतदान होने पर अपना वोट रद्द कर सके. कोर्ट ने एक इंजीनियर की याचिका पर यह सलाह देकर अपील पर फैसला देने से इंकार कर चुनाव आयोग जाने की सलाह दी गई. उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक इंजीनियर ने एक याचिका दायर कर कहा कि मशीन दोषमुक्त नहीं है . यदि कोई मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देने में विफल रहते हैं, तो इसमें वोटिंग रोकने या रद्द करने का इसमें कोई प्रावधान नहीं है, जबकि ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए. इस मामले में शीर्ष अदालत की पीठ ने याचिकाकर्ता की अपील पर फैसला देने से इंकार करते हुए उन्हें अपनी याचिका के साथ चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुति देने के निर्देश दिए. बता दें कि शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर पीठ ने कहा, ‘व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद हम उन्हें चुनाव आयोग में ही प्रस्तुति देने की छूट दे सकते हैं. इस छूट के साथ ही उनकी याचिका ख़ारिज कर दी. कोर्ट ने यह सलाह इसलिए दी, क्योंकि मूलतः यह मामला चुनाव आयोग से जुड़ा हुआ है. याचिकाकर्ता चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुति देकर यह बता सकता है कि वीवीपैट मशीनें त्रुटिमुक्त नहीं हैं. याचिका में मतदान को आधार से संबद्ध करने की भी मांग की गई है. इससे आधार नंबर मैच होने पर ही मतदाता मतदान केंद्र में प्रविष्ट हो सकेगा. शीर्ष न्यायालय की पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं. चुनाव आयोग ने 2014 के आम चुनाव में आठ लोकसभा क्षेत्रों में प्रयोग के तौर पर वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद आयोग ने मशीनों के परिणामों की समीक्षा की लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया.
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