दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजकिशोर झा ने कहा कि युवाओं में सांस्कृतिक चेतना जागृत करने का प्रयास राष्टÑीय स्तर पर किया जाना अतिआवश्यक है. उन्होंने कहा कि संस्कृति युवाओं को कर्तव्यनिष्ठ और श्रेष्ठ नागरिक के रूप में विकसित करती है. आज के भौतिकवादी युग में भी भारतीय संस्कृति की महत्ता बरकरार है. पूर्व कुलपति स्थानीय चंद्रधारी महाविद्यालय में युनेस्को क्लब आॅफ दरभंगा सिटी और संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारतीय संस्कृति और युवा’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति अद्वितीय, समन्वयवादी और भावात्मक है. यह मूल्यों पर आधारित है. इस मौके पर इग्नू के समन्वयक डॉ. मोहन मिश्र ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति भौतिकवादी नहीं, बल्कि भाववादी और आध्यात्मिक है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सर्वाधिक प्राचीन, गरिमामयी और विश्व विख्यात है. वहीं अध्यक्षीय उद्बोधन में युनेस्को क्लब आॅफ दरभंगा सिटी के अध्यक्ष डॉ. एस.ए.एच आब्दी ने कहा कि किसी भी संस्कृति की पहचान व्यक्ति के अच्छे विचार एवं सद्व्यवहार से झलकता हे. अच्छी संस्कृति को पाकर मानवता धन्य हो जाती है. विचार रखने वालों में डॉ. ब्रजमोहन मिश्र, हिरालाल सहनी, डॉ. भक्तिनाथ झा आदि शामिल थे. अतिथियों का स्वागत क्लब के महासचिव डॉ. ए.के कश्यप, संचालन छात्र राजकिशोर प्रसाद और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आर.एन चौरसिया ने किया. इस मौके पर भरत कुमार मंडल, सुशील कुमार, डॉ. अंजू कुमारी, विकास कुमार गिरी, प्रेरणा नारायण आदि ने भी विचार व्यक्त किये. वहीं क्विज एवं भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.
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