गौरतलब है कि शिवसेना लगातार भाजपा से दूरी बना रही थी, या यूँ कहे कि शिवसेना को भाजपा की नीतियों से एलर्जी थी. लेकिन जब लोकसभा चुनाव सीर पर है तो जाहिर है शिवसेना को एक मजबूत साथी चाहिए. कांग्रेस की नीतियों के साथ तो शिवसेना कभी समझौता कर ही नहीं सकता है, ऐसे में सबसे बेहतर भाजपा ही है. हालांकि अभी तक सीटों पर दोनों में बातचीत नहीं हुई है, उम्मीद है इस मसले को भी दोनों पार्टियाँ जल्द सुलझा लेगी.