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बिहार में मुकम्मिल शराबबंदी के लिए, शराब छोड़ चुके लोगों को बनाएंगे ब्रांड एम्बेसडर : डीजीपी

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“स्पेशल रिपोर्ट” : बिहार में मुकम्मिल शराबबंदी के लिए, शराब छोड़ चुके लोगों को बनाएंगे ब्रांड एम्बेसडर : डीजीपी

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी कानून लागू हुआ। यानि उसी दिन से बिहार में शख्त शराबबंदी है ।बाबजूद इसके शराब माफिया छुप-छुपाके शराब कारोबार भी कर रहे हैं और पीने वाले पी भी रहे हैं। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जीवन का सबसे खास सपना है बिहार को पूरी तरह से शराबमुक्त और नशा मुक्त बनाना। सूबे के मुखिया के इस सपने को मूर्त रूप देने का संकल्प लिया है राज्य के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने। आलम तो यह है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वे कभी-कभी, अपने कनीय पुलिस अधिकारियों पर भी भावावेश में उबल और बरस पड़ते हैं ।

इसमें कोई शक-शुब्बा नहीं है कि बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय बिहार में शराबबंदी को सख्ती से लागू कराने को लेकर जी-जान से जुटे हुए हैं। बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से हो सके, इसके लिए डीजीपी ने एक नई योजना बनाई है। उन्होंने बिहार में ऐसे शराबियों को सम्मानित करने का अभूतपूर्व फैसला लिया है, जिन्होंने खूब शराब पी है लेकिन अब शराब पीना बन्द कर चुके हैं।डीजीपी के निर्देश पर बिहार पुलिस महकमें ने प्रदेश के सभी 40 पुलिस जिलों से,वैसे आदतन शराबियों को सम्मानित करने का फैसला लिया है जो अब शराब पीना, पूरी तरह से छोड़ चुके हैं।

बिहार राज्य पुलिस महकमा ने, शराब छोड़ चुके शराबी व्यक्तियों के लिए राजधानी पटना में सम्मान समारोह आयोजित करने का फैसला लिया है। जाहिर तौर पर, इस सम्मान समारोह में ऐसे लोग होंगे, जिनकी पहचान पियक्कड़ के रूप में होती थी और जो शराब के बिना एक पल भी जी नहीं सकते थे। डीजीपी ने कहा कि इस ऐतिहासिक सम्मान समारोह में शराबियों की पत्नी, बेटा-बेटी और माता-पिता सभी को आमंत्रित किया जाएगा। इस बात की जानकारी बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार पुलिस सप्ताह,जो 22 फरवरी से 27 फरवरी तक चलेगा के दौरान खुद से दी।

डीजीपी ने कहा कि समारोह में एक ओर जहां शराबी अपनी आपबीती सुनाएंगे वहीं उनके परिजन अपना संस्मरण भी सुनाएंगे।इसमें घर के मुखिया के शराब पीने के दौरान होनेवाली परेशानियों का खुल कर के जिक्र होगा। शराब पीने के बाद,शराब पीने वाले कि सामाजिक छवि, आर्थिक स्थिति और परिवार के बीच उत्पन्न होने वाली सारी समस्याओं पर चर्चा होगी ।सबने कैसी-कैसी विडंबना और पीड़ा झेली, इससे सीधा साक्षात्कार होगा। डीजीपी ने आगे कहा कि बिहार पुलिस ऐसे सभी शराबियों को अपना ब्रांड एम्बेसडर घोषित करेगी, जो सभी जिलो में घूम-घूम कर शराब से होनेवाले नुकसान का जिक्र करेंगे और दूसरे लोगों को शराब छोड़ने के लिए सिद्दत से उन्हें प्रेरित, बाध्य और विवश करेंगे ।

वाकई डीजीपी की यह कोशिश बेमिशाल है। जिसने शराब पीकर,अपने जीवन में कितने नुकसान झेले हैं, वे खुद शराबियों के बीच जाकर अपना अनुभव साझा करेंगे। बिहार में 38 जिले हैं लेकिन 40 पुलिस जिले बनाये गए हैं। डीजीपी की कोशिश है कि जिला से लेकर, प्रखंड,पंचायत और ग्राम्य स्तर पर ऐसे ब्रांड एम्बेसडर जाएंगे और शराब के नशे से होने वाले नुकसान की व्यापक चर्चा,शराब के लत के शिकार लोगों से करेंगे ।वाकई हम इसे बेहद नायाब और अद्दभुत प्रयोग कहेंगे ।हमारी समझ से इसका व्यापक असर होना तय है ।

बिहार पुलिस की अनूठी पहल, एसएसपी और एसपी गोद लेगें एक-एक गाँव

बिहार पुलिस मुख्यालय ने अनूठी पहल की शुरुआत की है ।डीजीपी ने एक नया निर्देश जारी किया है ।अब सांसदों की तरह बिहार के हर जिला के एसएसपी और एसपी भी एक-एक गांव को गोद लेंगे ।आईपीएस अधिकारियों द्वारा गाँव को गोद लेने को लेकर कोई पैमाना या मापदंड नहीं होगा ।अधिकारी अपनी इच्छा से किसी एक गाँव का चयन कर सकते हैं । 22 फरवरी बिहार पुलिस सप्ताह की शुरुआत हुई है ।इस मौके पर हर एसपी और एसएसपी को एक गाँव को गोद लेना है ।

एडीजी सीआईडी विनय कुमार के मुताबिक गोद लिए गए गाँव के स्कूल में एसपी,शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने और बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करेंगे ।बच्चों के बीच ये खेल-कूद का भी आयोजन करेंगे ।साथ ही सबसे बड़ा मकसद यह है कि बच्चों से लेकर बड़ों के बीच शराब या नशा के खिलाफ,गाँव में जागरूकता अभियान भी चलाएंगे ।इसके अलावा उक्त गाँव या इलाके से जुड़ी आपराधिक चुनौतियों और विशेष समस्या के निराकरण का भी उन्हें प्रयास करना होगा ।कई अधिकारियों ने गाँव,गोद ले भी लिए हैं ।यानि अभियान का आगाज हो चुका है ।

सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने डीजीपी से कहा कि शराबबंदी को पूर्णतः क्रियान्वित कर के दिखाएं

पटना के एस.के.मेमोरियल हॉल में आयोजित एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम में बीते 21 फरवरी को सीएम नीतीश कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए डीजीपी को मजाकिया अंदाज में शराबबंदी को लेकर निर्देश दिया ।नीतीश कुमार ने कहा कि भाषण तो अच्छा दिए हैं डीजीपी साहब लेकिन पूर्ण शराबबंदी कर के तो दिखाइए ।शराबबंदी को पूर्णतः क्रियान्वित तो कीजिए ।इससे आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी,साथ-साथ बिहार की भी प्रतिष्ठा बढ़ेगी ।यही नहीं,बिहार के समग्र पुलिस बल को भी सम्मान मिलेगा ।नीतीश कुमार ने डीजीपी के उस बयान को लेकर डीजीपी को निर्देशित किया,जिसमें डीजीपी ने भावावेश में कहा था कि शराब कौन-कौन लोग पी रहे हैं और शराब के कारोबार में कौन सब लोग शामिल हैं,इसकी जानकारी चौकीदार और थानेदार को पता नहीं हो,यह असंभव है । बाद में डीजीपी ने अपने पुलिस अधिकारियों के कर्मवीर होने के भी सबूत देते हुए कहा कि बिहार में 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी कानून लागू हुआ ।तब से लेकर आजतक 78 लाख 78 हजार 540 लीटर सिर्फ विदेशी शराब की बरामदगी हुई है ।

शराबबंदी से जुड़े 1 लाख 13 हजार 613 मामले बिहार के विभिन्य थानों में दर्ज हुए हैं ।शराब की तस्करी में इस्तेमाल की जा रही 28 हजार 374 गाड़ियां जब्त की गयी हैं ।517 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कारवाई की गई है जिसमें 73 पुलिसवालों को सेवा मुक्त भी किया गया है ।शराब की तस्करी वाली 416 जगहों को सील किया गया है और अभी तक 64 लाख 69 हजार 849 लीटर शराब को नष्ट भी किया जा चुका है ।आखिर इतनी बड़ी कामयाबी किनकी बदौलत हासिल हुई है ?हमारे पुलिस अधिकारियों की मुस्तैदी और काबिलियत का यह फलाफल है ।नीतीश कुमार ने इशारों इशारों में विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग तो जबरदस्त आलोचक हैं ।वैसे ही लोग सिर्फ शराब की होम डिलीवरी की बात करते हैं,जो खुद पीने की जुगाली में लगे रहते हैं ।राज्य के डीजीपी, पूर्ण शराबबंदी के हमारे फैसले को मंजिल पर पहुंचाकर रहेंगे ।आखिर में,हम तो ताल ठोंककर कहेंगे कि यह डीजीपी अपने आप में ना केवल अलग किश्म के हैं बल्कि इनके अंदर बदलाव का जलजला है ।

पीटीएन मीडिया ग्रुप के मैनेजिंग एडिटर मुकेश कुमार सिंह की स्पेशल रिपोर्ट

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