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पीड़ित महिला वकील आज थाने में दर्ज करायेगी बयान.

सीनियर IAS और RJD पूर्व विधायक पर है गैंग रेप का आरोप, 6 साल बाद शुरू हुई है जांच-पड़ताल.

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सिटी पोस्ट लाइव : सीनियर IAS अधिकारी संजीव हंस और RJD के पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ गैंगरेप किये जाने का आरोप लगानेवाली महिला वकील का बयान आज पटना पुलिस दर्ज करेगी.महिला का आरोप है कि 6 साल पहले गन प्वाइंट पर पूर्व विधायक ने सबसे पहले उसका रेप किया था.पीड़िता का बयान रूपसपुर थाना में दर्ज होगा. पीड़िता का बयान काफी अहम है क्योंकि, महिला ने जिन 2 लोगों के ऊपर रेप का आरोप लगाया है, वो बड़े और रसूखदार हैं. महिला का आरोप है कि 6 साल पहले गन प्वाइंट पर पूर्व विधायक ने सबसे पहले उसका रेप किया था.

महिला का आरोप है कि गुलाब यादव ने उसे राज्य महिला आयोग में सदस्य बनाने का झांसा दिया था. उसी बहाने से उसे पूर्व विधायक ने उस वक्त अपने घर बुलाया था और उसका रेप किया था. आरोप है कि इसके बाद जब महिला ने केस करने की बात कही तो कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए पूर्व विधायक उससे शादी करने की बात कह झांसा देता रहा. इसके बाद आरोप है कि फिर पुणे के एक होटल में पूर्व विधायक के साथ ही सीनियर IAS संजीव हंस ने भी उसका रेप किया. इसके बाद ही उससे एक बेटा हुआ. पीड़िता कोर्ट से लेकर मीडिया के सामने दावा कर चुकी है कि वो बेटा IAS संजीव हंस का है. इसके लिए उसने कोर्ट से DNA टेस्ट कराने की भी मांग की थी.

महिला वकील से रेप मामले में IAS संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ रेप के आरोप में पटना पुलिस ने 9 जनवरी को केस दर्ज किया है. इन दोनों के खिलाफ पटना के रूपसपुर थाना में FIR नंबर 18/2023 दर्ज की गई. इसमें IPC की धारा 323/341/376/376(D)/420/313/120/504/506/34 और 67 IT एक्ट को शामिल किया गया है. इस केस की जांच का जिम्मा दानापुर की सर्किल इंस्पेक्टर और महिला पुलिस अफसर मंजू कुमारी को दिया गया है.

IAS अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए पीड़िता को लंबा संघर्ष करना पड़ा. पूरे 13 महीने कोर्ट और पुलिस के पास चक्कर लगाने पड़े. नवंबर 2021 में उन्होंने सबसे पहले दानापुर के ACJM कोर्ट में कंप्लेन दाखिल किया था. उस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने पटना पुलिस को जांच करने को भी कहा था. पटना पुलिस ने जांच की भी थी मगर, पुलिस के जांच रिपोर्ट जमा करने के बाद भी कोर्ट ने FIR दर्ज कराने का आदेश नहीं दिया था. तब पीड़िता को पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. पूरे केस का रिव्यू करने के बाद 12 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया और फिर 7 जनवरी को दानापुर कोर्ट ने केस दर्ज करने का आदेश दिया.

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