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महादलित विकास मिशन घोटाला : IIIM का डायरेक्टर शरद झा गिरफ्तार

झा की कंपनी पर ट्रेनिंग के नाम पर करीब 3.76 करोड़ रुपयों की हेरा-फेरी का आरोप है

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सिटी पोस्ट लाईव : बिहार महादलित विकास मिशन योजना घोटाले के मामले में निगरानी ने घोटाले के एक अभियुक्त शरद कुमार झा को अरेस्ट कर लिया है. निगरानी DSP मो. कासिम के अनुसार मंगलवार 3 जुलाई को शरद कुमार झा को गिरफ्तार किया गया है. शरद झा कोलकाता स्थित कंपनी इंडस इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट सिस्टम लिमिटेड (IIIM) के निदेशक हैं. झा की कंपनी पर इस योजना में ट्रेनिंग के नाम पर करीब 3.76 करोड़ रुपयों की हेरा-फेरी का आरोप है.निगरानी विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार शरद झा की गिरफ्तारी निगरानी थाना कांड संख्या 81/17 के अंतर्गत की गई है. झा की कंपनी पर अओप है कि  योजना के अंतर्गत कैंडिडेट्स का ऑनलाइन एग्जाम लेकर उन्हें ट्रेनिंग सर्टिफिकेट प्रदान करना था. लेकिन  कंपनी ने बिना एग्जाम लिए ही फर्जी कागजात तैयार किये और कैंडिडेट्स को दी जाने वाली राशि का गबन किया.

गौरतलब है बिहार राज्य महादलित विकास मिशन योजना के तहत  दलित समुदाय के छात्रों को 16 से ज्यादा ट्रेडों में कौशल विकास के तहत मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें ट्रेनिंग का पूरा खर्च राज्य सरकार देती है. इसके लिए निजी एजेंसियों का चयन किया जाता है. इन ट्रेनिंग कार्यक्रमों को संचालित कराने के लिए मिशन निजी एजेंसियों को कई स्तर पर निर्धारित मानकों पर इनका चयन करता है. इस पूरे मामले में हुई अब तक की जांच में तीन तरह से की गयी धांधली सामने आई थी और मामला दर्ज हुआ था.

गौरतलब है कि वर्ष 20 16 में  महादलित विकास मिशन में ट्रेनिंग के नाम घोटाला किये जाने का मामला सामने आया था. जांच के अनुसार अब तक चार करोड़ 25 लाख रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी सामने आ चुकी है. आशंका जतायी गई है कि राशि और भी ज्यादा हो सकती है. विभाग ने मिशन से जुड़े तीन IAS अधिकारियों सहित 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी. इस मामले में निगरानी विभाग ने एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले के  आरोपी IAS एसएम राजू को मुख्य अभियुक्त बनाया है. इसमें प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद राजू अपने विभाग और आवास से गायब हो गये थे. सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें उपस्थित होकर नोटिस लेने और जवाब देने का निर्देश दिया था. हालांकि अभी तक न वे खुद सामने आए और न ही कोई जवाब दिया है.

अन्य दो IAS अधिकारी तत्कालीन सचिव रवि मनुभाई परमार और मिशन के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक निदेशक केपी रमैय्या हैं. केपी रमैय्या ने IAS के पद से वीआरएस ले लिया. इन तीन IAS के अलावा एक प्रोन्नत आईएएस रामाशीष पासवान तथा मिशन के अन्य अधिकारी और निजी एजेंसी शामिल हैं. सभी आरोपितों के खिलाफ जालसाजी, फरेबी, धांधली, घपले से जुड़ी सभी धाराओं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण निरोध अधिनियम की दो अहम धाराओं 120बी, 13(2)डी और 13(1)डी के तहत मामले दर्ज किये गये हैं.

 

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