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अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह, जिसे अपराधियों ने किया गोलियों से छलनी

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अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह, जिसे अपराधियों ने किया गोलियों से छलनी

सिटी पोस्ट लाइव : सीतामढ़ी सिविल कोर्ट में पेशी के दौरान अपराधियों ने कुख्यात गैंगस्टर संतोष झा की गोली मारकर हत्या कर दी। उसे कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था जहां अपराधियों ने उसे कोर्ट परिसर में गोली मार दी और फरार हो गए. इस हमले में संतोष कुमार नामक सिविल कोर्टकर्मी भी जख्मी हो गया. जानकारी अनुसार बदमाशों ने बीस राउंड गोली चलाई. इस दौरान दो बदमाश भागने में सफल रहे. जबकि, एक बदमाश आर्म्स के साथ पकड़ा गया है. संतोष झा को पहली गोली उसके सिर में लगी तो वहीं दूसरी गोली उसके सीने में लगी है. उसकी गोली लगते ही मौत हो गई थी, लेकिन पुलिस उसे आनन-फानन में अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

बता दें इससे पहले संतोष झा के गैंग के शूटर अभिषेक झा की भी अपराधियों ने इसी तरह से मोतिहारी अनुमंडल न्यायालय में गोली मारकर हत्या कर दी थी. मोतिहारी सेन्ट्रल जेल से कैदियों को जैसे ही कैदी वैन लेकर कोर्ट परिसर कैदी वैन कोर्ट पहुंची , पहले से घात लगाए अपराधियों ने हमला कर दिया. इस हमले में पूर्वी चंपारण के ढाका में दरभंगा दोहरे इंजीनियर हत्याकांड के सजायाफ्ता अभिषेक झा मारा गया. अभिषेक झा रंगदारी वसूलने के आरोप में जेल में सजा काट रहा था. लेकिन सबसे बड़ी बात की आखिर कोर्ट परिसर में संतोष झा की हत्या किसने की. पहले उसके गिरोह के व्यक्ति की हत्या और अब गिरोह के सरगना की. वैसे बता दें संतोष झा का इतिहास खून से ही सना हुआ है. जिसपर कई मासूम लोगों के खून के छींटे हैं. आज भले ही उसकी हत्या से पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए हों, लेकिन उसकी मौत से कई लोगों को ख़ुशी तो जरुर मिली होगी.

बता दें बीते 16 साल से बिहार में अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह संतोष झा का गिरोह मिथिलांचल का सबसे बड़ा लेवी वसूलने वाला गिरोह था. इसका कारोबार बिहार सहित दूसरे राज्यों और नेपाल तक फैला हुआ था. संतोष झा का परिवार असम में रहता है. इसने बिहार लिबरेशन आर्मी नाम का संगठन बना रखा था. संतोष झा पहले नक्सली था, बाद में धीरे-धीरे उसने अपने गिरोह का विस्तार किया और उत्तर बिहार का गैंगस्टर बन बैठा. उसने सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज, दरभंगा आदि जिलों में उसने अपना जाल फैला रखा था और जेल के भीतर से ही अपना गैंग चलाता था. उसे देखकर कोई भी नहीं कह सकता था कि वो एक गैंगस्टर है.

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