बिहार की अवैध हथियारों की मंडी पर कोरोना इफ़ेक्ट, कम हो गया है मुंगेर में अपराध.
सिटी पोस्ट लाइव : अवैध हथियार के निर्माण और तस्करी के लिए देश भर में कुख्यात बिहार के मुंगेर जिला सबसे ज्यादा कोरोना के संक्रमण से प्रभावित है.दहशत का आलम ये है कि हथियारों के सौदागर भी चुपचाप घर में बैठ गए हैं. हालांकि पुलिस का मानना है कि उसकी सक्रियता की वजह से हथियारों के निर्माण और तस्करी पर लगाम लगा है.गौरतलब है कि मुंगेर बिहार का ऐसा जिला है जहाँ, 9 एमएम अमेरिकन पिस्तौल से लेकर स्टेनगन और AK-47 जैसे घटक हथियार गावं गावं में बनते हैं.पिछले साल AK-47 की बड़ी खेप की यहाँ से वरामदगी भी हुई थी.
पिछले साल तो मुंगेर AK 47 की असेंबलिंग, खरीद-बिक्री व तस्करी को लेकर देश भर में चर्चा में आ गया था. अवैध हथियारों की सबसे बड़ी मंडी के रूप में इसकी देश भर में पहचान बन गई है. यहां के बने हथियारों की दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मुंबई, नागालैंड आदि राज्यों में बड़ी डिमांड है.नक्सली यहीं से हथियार खरीदते हैं. बाहुबलियों के लिए यहीं सबसे पसंदीदा बाज़ार है. लेकिन लॉक डाउन में इस अवैध धंधे पर काफी असर पड़ा है.
दरअसल अवैध हथियार बनाने के लिए उपयोग आने वाले सामान दूसरे राज्यों से आने बंद हो चुके हैं. रेल मार्ग बंद हैं जिसके कारण अभी जिले में इस धंधे से जुड़े लोगों को काफी नुकसान हो रहा है. डीआईजी मनु महराज ने भी बताया कि लॉकडाउन के कारण जहां जिले में अपराध के ग्राफ में कमी आयी है वहीं, हथियारों की तस्करी व अवैध हथियार निर्माण में भी कमी आयी है.उन्होंने कहा कि अवैध हथियारों के निर्माण और सप्लाई में कमी का कारण यह है कि जो बाहर से जो रॉ मेटेरियल आता था, वह बंद पड़ गया है. उन्होंने कहा यहां जो अवैध हथियार बनता था उनके पार्ट्स दूसरे राज्यों से आते हैं और यहां के कारीगर उसे असेंबल कर उसका निर्माण करते हैं.डीआईजी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण इस धंधे से जुड़े लोग जहां नक्ससलियो सहित अन्य राज्यों में अवैध हथियार का सप्लाय करते थे, उसपर भी विराम लगा हुआ है. यही कारण है कि ऐसे तस्करों-सप्लायरों को आर्थिक नुकसान हुआ है.
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