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‘गैंगस्टर’ से ‘छोटे सरकार’ बनने की अनंत सिंह की कहानी सिटीपोस्ट की जुबानी

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‘गैंगस्टर’ से लेकर ‘छोटे सरकार’ बनने की अनंत सिंह की कहानी सिटीपोस्ट की जुबानी

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजनीति में बहुत बदलाव आ रहा है. बड़े बड़े नेता चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा राजनीति के केंद्र में बना हुआ है एक चर्चित बाहुबली अनंत सिंह. हमेशा बड़े अपराधिक वारदातों को लेकर चर्चा में रहनेवाला यह बाहुबली इसबार विधायक से सांसद बनने की अपनी कवायद की वजह से चर्चा में है. बिहार के इस दबंग सफेदपोश को पूरा भरोसा है कि वो जल्द ही सांसद बनेंगे और वो भी बिहार की मुंगेर सीट से, जहाँ से चुनाव मैदान में जेडीयू के दिग्गज नेता नीतीश कुमार के सबसे करीबी ललन सिंह चुनाव मैदान में उतरनेवाले हैं.

छोटे सरकार के नाम से चर्चित मोकामा विधायक अनंत सिंह ने मुंगेर सीट से अपनी दावेदारी को लेकर न केवल एनडीए बल्कि महागठबंधन को भी सकते में डाल दिया है. मुंगेर की सीट पर एनडीए का कब्जा है. इस सीट से अनंत के इलाके के ही दूसरे दबंग सूरजभान सिंह की पत्नी सांसद हैं. अनंत सिंह फिलहाल निर्दलीय विधायक हैं. लेकिन ये तय माना जा रहा है कि वो जल्द ही कांग्रेस का हाथ थामेंगे और इस सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे.

किसी जमाने में अपराध जगत में अनंत सिंह की तूती बोलती थी. अपराध जगत के बाद अनंत सिंह पिछले डेढ़ दशक से राजनीति में सक्रीय हैं. अनंत साल 2005 में पहली बार पटना से 90 किलोमीटर दूर स्थित मोकामा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने. पुरे ईलाके में उनकी समानान्तर सरकार चलती है और वो छोटे सरकार के नाम से ही जाने जाते हैं. लालू यादव की सरकार के जमाने में गुंडा से छोटे सरकार का तगमा हासिल करनेवाले अनंत सिंह की राजनीतिक शुरुवात उस नीतीश कुमार की पार्टी JDU से शुरू हुई जो सुशासन के लिए जाने जाते हैं.

सत्ताधारी दल के विधायक बनने के बाद मोकामा टाल का यह कुख्यात बाहुबली अनंत सिंह का सिक्का पुरे बिहार में चलने लगा. लेकिन आखिरकार एक दशक बाद यह बाहुबली उस नीतीश कुमार की नजर में चढ़ ही गया ,जो अबतक बिहार के आधा दर्जन से ज्यादा कुख्यात बाहुबलियों को ठिकाने लगा चुके हैं. बाकी बाहुबलियों को ठिकाने लगाए जाने के बाद बिहार का सबसे ताकतवर बन बैठे अनंत सिंह अब नीतीश सरकार के निशाने पर आ चुके हैं. लेकिन सच्चाई यहीं है कि सरकार के विरोध में खड़े होने के वावजूद आजतक अनंत सिंह का सरकार कुछ भी बिगाड़ नहीं पाई है. JDU से निकाले जाने के बाद भी जब अनंत निर्दल चुनाव जीतने में सफल हो गए तो उनका मनोबल इतना बढ़ गया कि फिर से JDU के शामिल होने की कोशिश शुरू कर दी. लेकिन जब नीतीश कुमार ने उन्हें फटकने नहीं दिया और उनके साथ अपराधियों जैसा सलूक शुरू कर दिया तो अनंत सिंह ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया.लेकिन 40 से ज्यादा अपराधिक मामलों के आरोपी अनंत सिंह सरकार से कितने दिन तक लड़ पायेगें, कह पाना मुश्किल है.पिछले तीन चुनावों से मोकामा से जीत रहे अनंत सिंह की आगे की राह अब बहुत आसान नहीं है. साल 2015 के चुनाव को जेल में रहते जीत जाने के बाद आत्म-विश्वास से लबरेज अनंत सिंह ने अब उसी ललन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है जिन्होंने अपराध जगत से बाहर निकाल कर उन्हें राजनीति में स्थापित किया.

अनंत सिंह का फिलहाल बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उनकी सरकार से छत्तीस का हो चूका है. अनंत अब नीतीश के लिए बागी बन चुके हैं और वो खुल कर हर जगह न केवल उनका विरोध कर रहे हैं बल्कि नीतीश के धुर विरोधी कहे जाने वाले लालू की तरफदारी भी कर रहे हैं. अबतक ललन सिंह की वजह से  नीतीश सरकार में अभयदान का आनंद उठा रहे अनंत सिंह अब कानून के निशाने पर हैं. अगर सरकार उनके खिलाफ कारवाई करती है तो भी अनंत सिंह के लिए ये साबित करना मुश्किल होगा कि ये बदले की कारवाई है क्योंकि वो पहले से ही संगीन अपराधिक मामलों में फंसे हुए हैं. अगर सरकार न्यूट्रल जांच भी शुरू कर दे तो उनका कानून के शिकंजे से बच पाना मुश्किल  है.

अनंत सिंह को उनके इलाके के लोग ‘छोटे सरकार’ कहते हैं लेकिन बिहार में भी उनका ये नाम काफी प्रचलित है. अनंत को छोटे सरकार इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनके इलाके में उनका ही हुक्म और कानून चलता है. अनंत जब कभी भी कहीं जाते हैं तो पूरे लाव-लश्कर के साथ जाते हैं. कहा जाता है कि इलाके में हुए किसी भी घटना की जानकारी पहले अनंत के दरबार तक जाती है और उसके बाद ही कोई कोर्ट-कचहरी या थाने जाता है. अनंत अपने इलाके में अपने हिसाब से कानून बनाते और चलाते हैं

बात चाहे किसी को पीटने की हो या फिर धमकाने की अनंत का नाम हमेशा से सुर्ख़ियों में रहा है. साल 2007 में रेप केस से जुड़ा सवाल पूछने पर अनंत के कहने पर उनके गुर्गों ने पटना के पत्रकारों की बेरहमी से पिटाई कर दी थी. इस मामले ने तूल पकड़ा था तो अनंत की गिरफ्तारी भी हुई थी. अनंत उस वक्त भी विवाद में आये थे जब उन्होंने तत्कालीन सीएम जीतन राम मांझी को धमकी तक दे दी थी. अनंत ने यह धमकी तब दी थी जब मांझी ने नीतीश के खिलाफ बगावत की थी.

अनंत सिंह की छवि भले ही बाहुबली की हो लेकिन उनके दुश्मनों की फेरहिस्त काफी लंबी है. इस लिस्ट में उनके सगे चाचा से लेकर बिहार के कई नामचीन सफेदपोश तक शामिल हैं. अनंत सिंह पर दो बार जानलेवा हमला भी हो चुका है, लेकिन संयोग से उन्होंने दोनों दफे मौत को मात दिया है. कहा जाता है कि अनंत पहली बार उस वक्त जेल गए थे जब वो महज 9 साल के थे. इसके बाद अनंत ने पीछे पलट कर नहीं देखा और अनंत से छोटे सरकार बन गए. इस दौरान कई बार उनका नाम हत्याकांड में भी आया. अनंत के खिलाफ बिहार के कई थानों में आपराधिक मामले दर्ज हैं.

अनंत सिंह का स्टाइल उनको भीड़ से अलग करता है. बात चाहे उनके ड्रेसिंग सेंस की हो या फिर लाइफ स्टाइल की उनका अंदाज हमेशा उनको भीड़ से अलग करता है. कभी उनको लोग बग्घी की सवार करते देखते हैं तो कभी रॉबिनहुड स्टाइल में हैट लगाए. अनंत की पहचान उनके ललाट पर लगे लाल तिलक, गोगल्स और अलग लुक के कारण होती है. इलाके में कोई उन्हें ‘मगहिया डॉन’ भी बोलता है. कहने को तो अनंत विधायक हैं लेकिन वो  खुद को अंगूठा छाप बताने से भी गुरेज नहीं करते .

लेकिन ये भी सच है कि इसबार उनका पाला नीतीश कुमार से पड़ा है जो अबतक बिहार के आधा दर्जन से ज्यादा कुख्यात बाहुबलियों को मिटटी में मिला चुके हैं.सुशासन के लिए जाने जानेवाले नीतीश कुमार के दामन पर अनंत सिंह ही एक धब्बा बने हुए थे.अब जब नीतीश कुमार ने अनंत से छुटकारा पा लिया है,उन्हें दुसरे बाहुबलियों की तरह ठिकाने लगाकर वाहवाही लूट सकते हैं.

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