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कोरोना वैक्‍सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी क्‍यों हुई डॉ केके अग्रवाल की मौत?

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सिटी पोस्ट लाइव : पटना के  मशहूर डॉक्‍टर केके अग्रवाल का कोविड-19 से निधन को लेकर चिकित्सा जगत में बहस छिड़ गई है. हैरान कर देनेवाली बात ये है कि उन्‍हें वैक्‍सीन की दोनों डोज लग चुकी थीं. जब देश में कोरोना की दूसरी लहर नहीं आई थी, तब तक भी यही माना जा रहा था कि वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद वेंटिलेटर पर जाने, आईसीयू में भर्ती होने या फिर जान जाने की नौबत नहीं आती है. लेकिन यह धारणा अब बदल गई है. पिछले कुछ हफ्तों में देखा जा रहा है कि कई डॉक्टर, पत्रकार या फिर फ्रंट लाइन वर्कर्स जो वैक्सिनेटेड थे, उनकी स्थिति गंभीर हुई या फिर जान चली गई.

मेदांता अस्‍पताल के डॉक्‍टर अरविंद कुमार ने कहा कि कई वजहें हो सकती है जिनसे पूरी तरह टीकाकरण के बाद भी ऐसा हो सकता है. उन्‍होंने  कहा कि इस पर और रिसर्च की जरूरत है. हालांकि उन्‍होंने तीन ऐसी संभावनाएं जरूर गिनाईं जो दोनों डोज लगवा चुके लोगों में संक्रमण/मौत की वजह हो सकती हैं.डॉ कुमार ने कहा कि हाल-फिलहाल में वैक्‍सीन लगवा चुके लोगों की जो मौतें हुई हैं, उनकी पिछले साल से तुलना करें तो एक बात तो साफ है कि इस बार मृतकों की संख्‍या कम है. हमने फेज 3 ट्रायल्‍स में डेथ रेट 0% माना था मगर जमीन पर हालात अलग नजर आ रहे हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं. डॉ कुमार ने इशारा किया कि ऐसा हो सकता है कि दोनों डोज लगने के बाद जिनकी मौत हुई, उनमें पर्याप्‍त ऐंटीबॉडीज न बनीं हो या फिर इन स्‍ट्रेन्‍स के खिलाफ वैक्‍सीन असरदार न हो.

यह रिसर्च का विषय है कि क्‍या इन लोगों में दोनों डोज लगने के बाद भी ऐंटीबॉडीज क्यों नहीं बनीं. अगर ऐंटीबॉडीज बनीं तो पर्याप्‍त मात्रा में नहीं बनीं या जिस तरह की न्‍यूट्रलाइजिंग ऐंटीबॉडीज चाहिए थीं, वो नहीं बनीं. तीसरी संभावना ये है कि जो ऐंटीबॉडीज थीं, वे वायरस के इस स्‍ट्रेन के खिलाफ कारगर नहीं हैं.मेदांता के एक्‍सपर्ट ने जनता से अपील करते हुए कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि वैक्‍सीन बेकार है. 100% प्रोटेक्‍शन नहीं है, लेकिन फिर भी मौत, गंभीर बीमारी से बचाने में काफी कारगर है. आज की तारीख में यह हमारा सबसे मजबूत हथियार है.आंध्र प्रदेश में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्‍यक्ष डॉ नरेला सुब्रमण्‍यम ने कहा कि WHO ने बार-बार कहा है कि वैक्‍सीन आपको कोविड-19 पॉजिटिव नहीं बना सकतीं. उन्‍होंने यह भी कहा कि अगर कोई व्‍यक्ति कोविड बीमारी के इनक्‍यूबेशन पीरियड में वैक्‍सीन लेता है तो टेस्‍ट पॉजिटिव आ सकता है. यह भी हो सकता है कि वैक्‍सीनेशन सेंटर से आपको इन्‍फेक्‍शन हो या टीका लगने के ठीक बाद, उस स्थिति में भी पॉजिटिव रिजल्‍ट आ सकता है.

इससे पहले डॉक्टर कुमार ने कहा कि जब पिछले साल कोरोना वैक्सीन के फेज तीन के ट्रायल हुए थे, तो उसमें यह देखा गया था कि वैक्सीन लगाने के बाद भी 25-30 पर्सेंट लोग संक्रमित हो गए थे. हालांकि उस दौरान इस ट्रायल में सभी वॉलंटियर्स में इन्फेक्शन माइल्ड वैरायटी का था. किसी को भी अस्पताल में भर्ती होने या फिर वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी थी. उस ग्रुप में किसी की मौत नहीं हुई थी.उन्‍होंने कहा कि आज से करीब एक-डेढ़ महीने पहले तक, कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में 250 से ज्‍यादा डॉक्‍टर्स की मौत हो चुकी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अनुसार, कुल 269 डॉक्टरों ने अपनी जान कोरोना क दूसरी लहर में गवाई है. इन सभी डॉक्टरों में सबसे ज्यादा जान गवाने वाले युवा डॉक्टर हैं। जिनकी उम्र 30 से 55 साल तक के बीच की थी.

IMA के मुताबिक, दूसरी लहर में सबसे अधिक डॉक्टरों की जान बिहार में गई है. बिहार में अब तक कुल 78 डॉक्टरों की मृत्यु हुई है. इसके अलावा उत्तरप्रदेश में कुल 37 डॉक्टर तो दिल्ली में 28 डॉक्टरों की जान गई है. साथ ही आंध्र प्रदेश में भी 22 डॉक्टर, तेलंगाना में 19 डॉक्टर, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में 14 डॉक्टरों की जान कोरोना संक्रमण के कारण गई है.

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