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जब तक संक्रमण की दर में 75 फीसदी गिरावट नहीं आती, लॉकडाउन खत्म करना खतरनाक

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए 15 मई तक लॉकडाउन लगाया गया है। जिसका असर होता दिखाई भी दे रहा है। संक्रमण की दर में हर दिन 1 हजार से अधिक मामलों में कमी आ रही है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आने वाले दिनों में संक्रमण बिल्कुल खत्म हो जाएगी। ऐसा हम नहीं बल्कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है।

एसोसिएशन ने कहा है कि राज्य में अब तक कोविड 19 से 115 से अधिक डाक्टरों की मौत हो चुकी है. आइएमए ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि कई वेब आ सकती हैं. कोरोना के खिलाफ अपनी फाइटिंग पॉवर को बेहतर बनाने के लिये कोरोना वारियर्स की आर्थिक- सामाजिक सुरक्षा और मनोबल को बनाये रखना होगा.

आइएमए ने कहा कि संक्रमण की दर में 75 फीसदी गिरावट होने के बाद ही लॉकडाउन खत्म किया जाये. लॉकडाउन खत्म करने से पहले वैज्ञानिक, डाक्टर, बायोलाजिस्ट के साथ मंथन कर निर्णय लेने की जरूरत है. सामाजिक विशेषज्ञों के साथ भी मूल्यांकन कराने की जरूरत है. यदि ऐसा नहीं किया तो जोखिम बढ़ जायेगा.

आइएमए ने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर सरकार ने लॉकडाउन लगाने में देरी क्यों की। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बिहार अध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि बिहार में नवंबर तक आते- आते पहला दौर खत्म हो गया था. लेकिन कुछ राज्यों में दूसरी लहर आ चुकी थी.

जाहिर है बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में भले थोड़ी कमी आई हो। इसका ये मतलब नहीं कि कोरोना का खतरा कम हो गया है। कोरोना से मौत के मामले अब भी आ ही रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि सवास्थ्य व्यवस्था को और दुरुस्त किया जाए। ताकि आने वाले दिनों  में बेहतर तरीके से कोरोना का सामना किया जा सके।

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