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पटना AIIMS का खुलासा, Corona को मात देने में बड़ों से आगे नवजात बच्चे.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में कोरोना ने कोहराम मचा रखा है या फिर कोरोना को लेकर अफवाह और दहशत की वजह से तबाही मची है.इस सवाल का जबाब अब मिल गया है. पटना एम्स (Patna AIIMS) ने एक बड़ा खुलासा कर दिया है. पटना एम्स के डॉक्टरों के अनुसार  कोरोना को सबसे तेजी से नवजात बच्चे (Newborn child) ही मात दे रहे हैं. बड़ों की अपेक्षा ये नवजात 10 दिन पहले ही निगेटिव हो जा रहे हैं और जल्दी स्वस्थ भी हो रहे हैं.एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक सामान्य या बड़े उम्र के संक्रमित मरीजों को स्वस्थ होने में जहां 7 से 14 दिनों का वक्त लग रहा है, वहीं नवजात बच्चे वायरस को हराकर तीन से चार दिन में ही पॉजिटिव से निगेटिव हो रहे हैं.

रिसर्च में ये भी पता चला है और राहत की बात ये है कि अगर कोई मां संक्रमित है तो जन्म लेनेवाले बच्चे में वायरस का प्रकोप नहीं के बराबर होता है. पटना एम्स की रिसर्च टीम ने पटना में कोरोना काल में जन्म लेनेवाले लगभग 12 बच्चों पर शोध के बाद ये दावा किया है.एम्स में कोविड 19 के नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि एम्स में पिछले एक सप्ताह में 12 कोरोना पॉजिटिव माताओं ने बच्चों को जन्म दिया है. जन्म लेते ही सभी बच्चों की कोरोना जांच की गई. जांच रिपोर्ट काफी चौंकानेवाला रहा. पता चला कि जन्म लेनेवाले 12 बच्चों में COVID-19 संक्रमण का कोई प्रभाव नहीं था. सिर्फ 3 बच्चों में संक्रमण का प्रभाव दिखा. इस दौरान सभी बच्चों को मां का दूध भी पिलाया गया, लेकिन स्तनपान कराते समय डॉक्टरों और नर्सों की निगरानी में विशेष सावधानी बरती गई. नोडल ऑडिसर डॉ. संजीव की माने तो जिन बच्चों में पॉजिटिव लक्षण मिले, वे तीनों नवजात भी तीन से चार दिन में ही कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो गए. उन्होंने ये भी बताया कि इनमें से कई बच्चे सिजेरियन से भी हुए थे.

एम्स के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय कुमार ने कहा कि ये शोध इसीलिए भी किया गया ताकि ये पता चल सके कि कोरोना के दौरान अगर किसी बच्चे का जन्म हुआ है तो इस वायरस का उस पर किस हद तक कुप्रभाव पड़ता है. बच्चों में इम्युनिटी कितनी है. डॉ. विनय ने गर्भावस्था धारण कर चुकी माताओं से भी अपील की और कहा कि वायरस को लेकर सावधानी बरतें और डरें नहीं. उन्होंने कहा कि वायरस से लड़ें क्योंकि माता के दूध से या स्तनपान से बच्चों को यह वायरस प्रभावित नहीं करता है.

पटना AIIMS के इस रिसर्च को लेकर आईएमए (IMA) ने भी डॉक्टरों की टीम को बधाई दी है. आईएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने कहा यह जानकारी देश हित के लिए काफी जरूरी थी, क्योंकि जानकारी नहीं होने के कारण ही जच्चा-बच्चा को खतरा था. माताएं इस वजह से डिप्रेशन का शिकार भी हो जाती थीं.ज्यादातर डॉक्टरों का अब यहीं मानना है कि कोरोना से ज्यादा खतरनाक कोरोना को लेकर फैला अफवाह और है.

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