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छठ के लिए चूल्हे बना रहीं मुस्लिम महिलाएं दे रही हैं सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश

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सिटी पोस्ट लाइव : लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का अनुष्ठान आज से शुरू हो गया है.इस पर्व के मौके पर धर्म मजहब का सारा भेदभाव मिट जाता है. एक तरफ दुनिया में पैन इस्लामिज्म की बात हो रही है वहीँ पटना की सड़कों पर छठ पूजा के लिए मिट्टी के चूल्हे बनाने वालीं मुस्लिम महिलाएं देश दुनिया को सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देती नजर आ रही हैं. लोक आस्था के महापर्व को लेकर ये महिलाएं नियमों का पालन करते हुए चूल्हे बनाने में जुटी हैं. छठ का प्रसाद बनाने को लेकर मिट्टी के चूल्हे बनाने का काम महीनों पहले से आरंभ हो जाता है. मुस्लिम महिलाएं छठी मइया के प्रति आस्था रख चूल्हे का निर्माण करने में जुट जाती हैं. महिलाएं चूल्हे बनाने के साथ समाज में सौहार्द का संदेश देती हैं. सौहार्द के चूल्हे पर आस्था का प्रसाद बनेगा.

सूर्य की उपासना का महापर्व छठ सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता है. छठ व्रती जिस कच्चे चूल्हे पर महापर्व छठ का प्रसाद बनाती हैं इसका निर्माण वर्षों से मुस्लिम महिलाएं करती आ रही हैं. वीरचंद पटेल पथ पर मिट्टी के चूल्हे बनाने में व्यस्त करीना खातून छठी मइया को लेकर बीते कई वर्षों से मिट्टी के चूल्हे बनाती रही हैं. इसे बनाने को लेकर काफी शुद्धता और नियमों का पालन करती हैं. चूल्हे बनाने के दौरान लगभग एक महीने तक शुद्धता का ध्यान रखती हैं.। चूल्हे बनकर तैयार होने तक मांस-मछली का सेवन नहीं करतीं हैं. नहा-धोकर चूल्हे को तैयार करती हैं.

चूल्हे बनाने वाली आसमां खातून बताती हैं कि वीरचंद पटेल पथ पर कई महिलाएं इस पुनीत कार्य में लगी रहती हैं. ये सारी मुस्लिम महिलाएं सेवा भाव से चूल्हे का निर्माण करती हैं ताकि छठी मैया की कृपा परिवार पर बनी रहे. चूल्हे बनाने के लिए चिकनी मिट्टी बाहर से मंगाया जाता है. सुबह से लेकर शाम तक एक दिन में 12-15 चूल्हे तैयार होते हैं. चूल्हे तैयार होने के बाद इसे सावधानी से धूप में सुखाया जाता है.बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण चूल्हे का निर्माण कम हुआ था. इस बार उम्मीद है कि चूल्हे की बिक्री ठीक होगी. चूल्हे बनाने वाली महिलाओं ने बताया कि बीते वर्ष 70-80 रुपये में बिक्री हुई थी, लेकिन इस वर्ष मिट्टी के दाम बढऩे से सौ रुपये में चूल्हे की बिक्री होगी. ढाई हजार से तीन हजार रुपये की बीच एक टेलर मिट्टी की कीमत होती है.

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