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बिहार सरकार ने खड़े किये हाथ, बिहार कैसे वापस लौटेगें 25 लाख प्रवासी मजदूर.

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बिहार सरकार ने खड़े किये हाथ, बिहार कैसे वापस लौटेगें 25 लाख प्रवासी मजदूर.

सिटी पोस्ट लाइव :भारत सरकार ने देश के कोने कोने में फंसे प्रवासी मजदूरों के अपने अपने राज्य में वापसी का रास्ता साफ़ कर दिया है.भारत सरकार ने लॉक डाउन के गाइडलाइन्स में परिवर्तन कर दिया है.इस परिवर्तन के अनुसार प्रवासी मजदूर और छात्र अपने अपने घर वापस लौट सकते हैं या राज्य सरकारें उन्हें वापस ला सकती है.लेकिन सबसे बड़ा सवाल –कैसे बिहार के लाखों प्रवासी मजदूर वापस आयेगें बिहार? ट्रेनें चल नहीं रही हैं, बसों के परिचालन पर रोक है.बिहार सरकार के पास इतना संसाधन नहीं है कि बहार फंसे 25 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को ला सके.

गौरतलब है कि लॉक डाउन की वजह से बिहार सरकार प्रावासी मजदूरों और छात्रों को बिहार वापस नहीं ला रही थी.लेकिन इस बीच उत्तर-प्रदेश सरकार के साथ कई राज्यों की सरकारों द्वारा अपने प्रावासी मजदूरों और छात्रों को वापस लाने के बाद बिहार सरकार पर भी अपने लोगों को लाने का दबाव बढ़ने लगा.विपक्ष के साथ साथ बीजेपी के नेताओं ने भी दुसरे राज्यों में फंसे मजदूरों –छात्रों को वापस लाने की मांग तेज कर दी .स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बिहार सरकार ने भारत सरकार से लॉक डाउन के गाइडलाइन्स में परिवर्तन करने का आग्रह किया ताकि प्रवासी मजदूर-छात्र वापस आ सकें.हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये भी साफ़ कर दिया था कि 25 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को लाने की व्यवस्था बिहार सरकार के पास नहीं है.

कायदे से भारत सरकार को प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए ट्रेनों की व्यवस्था करनी चाहिए थी या फिर राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य में भेंजने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया जाना चाहिए था.लेकिन परेशानी ये है कि हर राज्य में लाखों की संख्या में बिहारी मजदूर हैं उन्हें भेंजने की जिम्मेवारी वहां की राज्य सरकारें लेगीं.अगर नहीं लेगीं तो भारत सरकार को ट्रेनों की व्यवस्था करनी पड़ेगी क्योंकि 25 लाख मजदूरों को बसों से वापस लाने की व्यवस्था नामुमकिन है.अगर बिहार सरकार ऐसा करे भी तो महीनों का समय लगेगा. फिर तो लॉक डाउन की ऐसी की तैसी हो जायेगी.बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी इतने मजदूरों को वापस लाने की व्यवस्था करने में अपनी सरकार की असमर्थता जाता चुके हैं.जाहिर छात्र तो वापस आ जायेगें लेकिन प्रवासी मजदूर खासतौर पर वैसे मजदूर जो बहुत दूर फंसे हैं, वापस नहीं आ पायेगें.

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