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सावधान मौसम बदलने से बढ़ रहा सर्दी-जुकाम-बुखार का प्रकोप

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सिटी पोस्ट लाइव :मौसम बदलने के साथ सर्दी, जुकाम, खांसी, गले में दर्द, सिरदर्द, शरीर में दर्द, तेज बुखार की शिकायत सामने आ रही है. वायरल बुखार तो तेजी से फैल ही रहा है साथ ही डेंगू का प्रकोप भी बढ़ गया है. शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से उल्टी-दस्त और बुखार के मरीज भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं. टायफाइयड के केस भी मिल रहे हैं. चिकित्सकों के अनुसार मौसम परिवर्तन के कारण अभिभावकों को उनके बच्चों को पानी उबाल कर या फिल्टर करके देना चाहिए. छोटे बच्चों के गीले कपड़े समय पर बदलते रहें, जिससे बच्चों को सर्दी, जुकाम खांसी से बचाया जा सके.

मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव के चलते एक बार फिर जुकाम, खांसी, बुखार के मरीज बढ़ने लगे हैं.जाहिर है कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना तेज हो गई है. पिछले एक सप्ताह में जुकाम खांसी और बुखार में 10 से 15 फीसदी मरीज बढ़ गए हैं. हालांकि अबतक किसी की भी कोरोना जांच नहीं हुई है. इसलिए यह कह पाना मुश्किल है कि कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. लेकिन, विशेषज्ञों की मानें तो सर्दी, जुकाम, खांसी के साथ बुखार के कारण लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसी स्थिति कोरोना संक्रमण और ज्यादा फैलने की संभावना है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस मौसम में जुकाम हो गया है, सीने में कफ जमा है और सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

दिन में तो मौसम गर्म होता है, लेकिन सुबह और रात में पहनावे पर ध्यान रखना चाहिए. दिन में लोग घर से कम कपडते पहनकर निकलते हैं और शाम को घर पहुंचते-पहुंचते मौसम ठंडा हो जाता है. ठंडी चीजों से परहेज रखना जरुरी है.बच्चों को सुबह होते ही बेड से उठकर सीधे बाहर नहीं जाना चाहिए.सुबह फर्श पर नंगे पैर चलने से बचना चाहिए. सर्दी के मौसम में पानी कम मात्रा में लोग पीते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. शरीर में पानी की कमी से डिहाइड्रेशन हो सकता है. कोल्ड डायरिया के भी शिकार हो सकते हैं.

खानपान और रहन – सहन पर ध्यान दिया जाए तो मौसमी बीमारियों के प्रकोप से बचा जा सकता है. बुखार पीडितों में मलेरिया के लक्षण भी मिल रहे हैं. बुखार से बचने के लिए मच्छरों से बचे और घर और आसपास सफाई रखें, जिससे मच्छर न पनपें.पिछले वर्ष जब कोरोना का प्रसार हुआ तो प्रवासी मजदूरों को इसका कारण माना गया. उसके लिए सरकार ने सरकारी स्कूलों व अन्य जगहों पर क्वारन्टीन सेंटर बनाकर मजदूरों को 15 दिनों के लिए आइसोलेट कर दिया था.लेकिन, यह महज एक खानापूर्ति बन कर रह गया है. जांच के लिए सभी व्यक्तियों को नहीं कह आ जा रहा ना ही सभी ट्रेनों के यात्रियों की जांच हो रही है. लोग सोशल डिस्टेंस और मास्क का पालन भी करते नहीं दिख रहे हैं.

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