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प्रवासियों के बिहार आने का रास्‍ता साफ, CM नीतीश ने केंद्र सरकार के फैसले का किया स्वागत.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल 25 लाख प्रवासी मजदूरों को वापस कैसे राज्य सरकार लायेगी बिहार.

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प्रवासियों के बिहार आने का रास्‍ता साफ, CM नीतीश ने केंद्र सरकार के फैसले का किया स्वागत.

सिटी पोस्ट लाइव :लॉक डाउन के गाईडलाइन्स में परिवर्तन कर प्रवासी मजदूरों के घर वापसी का रास्ता साफ़ कर देने के भारत सरकार के फैसले का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने स्वागत किया है.नए गाईडलाइन्स के अनुसार  लॉकडाउन (Lockdown) के कारण दूसरे राज्यों में फंसे लोग कुछ शर्तों के साथ अब अपने घर लौट सकेंगे. दरअसल, लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में फंसे प्रवासी मजदूर, पर्यटक, छात्रों और अन्‍य लोगों को लेकर गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने बड़ा फैसला लिया है. एमएचए गाइडलाइंस के बाद अब दूसरे राज्‍यों में फंसे प्रवासी लोगों के बिहार आने का रास्‍ता साफ हो गया है.

नीतीश कुमार ने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों के आवागमन को लेकर दिए गए छूट के निर्णय पर केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का निर्णय उपयुक्त एवं स्वागत योग्य है. सीएम ने कहा कि हम लोगों के आग्रह पर केंद्र सरकार ने सकारात्मक निर्णय लिया है. इससे बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में फंसे हुए बिहार आने को इच्छुक प्रवासी मजदूर, छात्र, श्रद्धालु, पर्यटक और अन्य लोगों को बिहार आने में सुविधा होगी.मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश का अनुपालन जनहित में है और सबको इसका पालन करना चाहिए. बिहार सरकार ने इस मामले में केंद्र सरकार के आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत जारी दिशा-निर्देशों का हमेशा पालन किया है.

गृह मंत्रालय की नई गाइडलाइन के मुताबिक अगर किसी राज्‍य में फंसा कोई व्‍यक्ति दूसरे राज्‍य में जाना चाह रहा है तो इसके लिए दोनों राज्‍यों की सरकारें आपस में बातचीत कर के उपयुक्‍त कदम उठाएं. लोगों को सड़क के रास्‍ते ले जाया जाए. लोगों को भेजने से पहले सभी की मेडिकल जांच (स्‍क्रीनिंग) की जाए. अगर कोरोना वायरस संक्रमण का कोई लक्षण नहीं पाया जाता है तो उन्‍हें जाने की अनुमति दी जाए. गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार फंसे लोगों को भेजने के लिए बसों की व्‍यवस्‍था की जाए. इन बसों को अच्‍छी तरह से सैनिटाइज किया जाए. साथ ही इसमें बैठने के दौरान सोशल डिस्‍टेंसिंग के नियम अपनाए जाएं.

गाइडलाइन के अनुसार लोगों के उनके गंतव्‍य स्‍थान पहुंचने पर सबसे पहले स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम को उनकी जांच करनी होगी. इसके बाद उन्‍हें घरों में पृथक (अलग) रहना होगा. हालात के अनुसार अगर जरूरत हो तो उन्‍हें क्‍वारंटाइन सेंटर में भी रखा जा सकता है. इन सभी लोगों की समय-समय पर मेडिकल जांच की जाएगी. इसके लिए लोगों को आरोग्‍य सेतू ऐप भी यूज करने के लिए प्रोत्‍साहित किया जाएगा. ताकि उनकी स्थिति के बारे में जानकारी मिलती रहे.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि बिहार सरकार वगैर भारत सरकार के सहयोग के 25 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को वापस कैसे लायेगी?बिहार सरकार के पास न तो इतनी बसें हैं और ना ही कोई और साधन.वैसे भी नीतीश कुमार ने प्रधानमन्त्री को पहले ही अवगत करा दिया था कि सरकार के पास इतने मजदूरों को वापस लाने की व्यवस्था नहीं है.अगर बिहार सरकार कोशिश भी करे बसों से उन्हें वापस लाने का तो महीनों लगेगें और लॉक डाउन पूरी तरह से फेल हो जाएगा.

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