सिटी पोस्ट लाइव : भारत में कम उम्र में ही हार्ट-अटैक और ह्रदय से जुड़े अन्य रोग लगातार बढ़ रहे हैं। ह्रदय से जुड़ी एक गंभीर समस्या है दिल में छेद होना। डॉक्टर्स कहते हैं कि दिल में छेद होना अधिकतर बच्चों में जन्म जात होता है। लेकिन जब अभिभावक इस रोग के लक्षणों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं तो ये जानलेवा साबित हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि दिल में छेद होने के लक्षणों को समझा जाए और यदि बच्चे में इसके लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इलाज करवाएं। ताकि जीने की उम्र बच सके। एक ऐसा मामला सीतामढ़ी ज़िले से सामने आया है। जहां दो मासूम बच्चों के दिल में छेद है। जिसे सरकार ने मदद दे दी है.
इलाज के लिए जिला प्रशासन ने अहमदाबाद के सत्य साईं संजीवनी अस्पताल भेज है। जहाँ उसे मुफ्त में इलाज हो सके। ज़िला प्रशासन ने वहाँ आने जाने के साथ रहने में होने वाले सभी खर्चो का जिम्मा उठाया है। पीड़ित मासूम बच्चा आदर्श कुमार ,उम्र 3 वर्ष जो सुरसंड प्रखंड का है। औऱ बथनाहा प्रखंड के नारहा गांव के आशीष कुमार उम्र 4 वर्ष को उनके परिवारों को एक एबुलेंस से पटना के लिए रवाना किया है ।जहाँ से फ्लाईट से अहमदाबाद पहुंचेंगे। के बाद श्री सत्य साईं अस्पताल में भर्ती किया जायेगा।
बताते चले की छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में बच्चों के दिल का एक ऐसा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है। जहां कोई कैश काउंटर ही नहीं है। निजी अस्पतालों में जहां दिल के छोटे से बड़े ऑपरेशन के लिए तीन से आठ लाख रुपए का खर्च आता है। वहीं, इस अस्पताल में मरीज का एक रुपया भी खर्च नहीं होता है। सरकारी अस्पतालों में भी पंजीयन के नाम पर पांच से दस रुपए का टोकन लिया जाता है, लेकिन इस अस्पताल में नकद लेन-देन की कोई गुंजाइश ही नहीं है।
कोई कैश काउंटर नहीं –
इस अस्पताल में इलाज पूरी तरह फ्री है, दवाइयां भी अस्पताल की तरफ से मुफ्त में मिलती हैं। किसी भी प्रकार का रजिस्ट्रेशन शुल्क भी यहां नहीं लिया जाता। यानी यहां पैसे के लेन-देन की कोई व्यवस्था ही नहीं है। इसलिए यहां कोई कैश काउंटर भी नहीं बनाया गया है। मरीज के साथ उसके एक अटेंडेंट को भी यहां रहने-खाने की निशुल्क व्यवस्था है। दूसरा अटेंडेंट यहां नि:शुल्क रह सकता है, लेकिन खाने के लिए अस्पताल के कैंटीन में उसे नॉमिनल शुल्क देना पड़ता।
ऐसी है व्यवस्था
अस्पताल में सोमवार से शुक्रवार सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक पंजीयन किया जाता है। प्रतिदिन अधिकतम छह मरीजों का पंजीयन होता है। इमरजेंसी केसेस के लिए तुरंत व्यवस्था की जाती है। वहीं, यहां भर्ती मरीजों को तब तक छुट्टी नहीं दी जाती जब तक वह पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाए। दिल में छेद के ऑपरेशन से पहले मरीज को अगर सर्दी-खांसी, जुकाम या खुजली जैसी अन्य बीमारी है तो पहले उसे ठीक किया जाता है। इसे ठीक होने में चाहे कितने ही दिन लगे। यही वजह है कि कुछ मरीजों को एडमिट करने के बाद ऑपरेशन के लिए दो-दो महीने तक रखना पड़ता है।
सीतामढ़ी से आदित्यानंद आर्य की रिपोर्ट
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