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किसान ज़िंदाबाद संगठन द्वारा “जबाब दो अधिकार-दो अभियान” के तहत कागजों में दफन सरकारी वादों की शवयात्रा

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किसान ज़िंदाबाद संगठन द्वारा “जबाब दो अधिकार दो अभियान” के तहत कागजों में दफन सरकारी वादों की शवयात्रा

सिटी पोस्ट लाइव : पिछले 5 अक्टूबर को किसान जिंदाबाद संगठन ने नालन्दा ज़िले के बिहारशरीफ में लगभग आठ हजार किसानों का एक अभूतपूर्व मार्च निकालकर अपनी सात मुख्य मांगों का मांगपत्र जिलाधिकारी के मार्फ़त मुख्यमंत्री महोदय को भेजा था। ज्यादातर माँगे दूसरे कई राज्यों में मानी जा चुकी हैं। मगर दुर्भाग्य से यहाँ, मांगें मानी जानी तो दूर, जबाब तक देने की भी कोशिश नहीं हुई। ऐसा ही कई अन्य जिलों में भी हुआ। जब जिले में जबाब नहीं मिला, तो किसानों ने सरकार के और नजदीक आकर पटना में प्रदर्शन करने की सोची। सूबे के कई जिलों में “जबाब दें, अधिकार दें” अभियान शुरू किया गया। साथ ही किसान को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए किसान जिंदाबाद की ओर से 23 दिसंबर 2018 को सूबे के कई जिलों में किसान परिवर्तन रथ यात्रा भी शुरू की गयी। पत्रकारों को किसान जिंदाबाद के संयोजक ईo प्रणव प्रकाश ने बताया कि किसान परिवर्तन रथ बिहार के किसानों में एकता एवं जागृति लाएगा और सरकार को उनके वाजिब हक दिलाने को मजबूर करेगा।

आज गाँधी मैदान में कागजों में दम तोड़ गयी योजनाओं एवं कार्यक्रमों की शव यात्रा भी निकाली गयी। जो वादे कभी पूरे नहीं हुये, उनमें प्रमुख हैं:

1. कृषि लागत मूल्य कम करना
2. अनाज, दूध एवं सब्जियों के उचित बाजार मूल्य सुनिश्चित करना
3. खाद की कालाबाजारी रोकना
4. बीज की गुणवत्ता तय करना
5. मिट्टी की मुफ्त जाँच कर स्वायल हेल्थ कार्ड बनाना
6. फसल बीमा का समुचित लाभ किसान तक पहुंचाना
7. अनाज, दूध एवं सब्जियों के उचित भंडारण की व्यवस्था
8. सिंचाई की उचित व्यवस्था करना
9. किसान आयोग का गठन करना
10. कृषि योजनाओं एवं कार्यक्रमों में शून्य भ्रष्टाचार सुनिश्चित करना।

कार्यक्रम में विभिन्न पार्टियों के राष्ट्रीय किसान नेताओं ने भी शिरकत की। अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के अध्यक्ष नाना भाऊ पटोले, राष्ट्रीय सहसंयोजक राजू मान एवं मुकेश बाबा ने किसानों को संबोधित किया। सीपीआई के किसान नेता रविन्द्र नाथ रॉय एवं कांग्रेस के किसान नेता श्यामसुंदर सिंह धीरज ने भी जोरदार ढंग से अपनी बातें रखी। कार्यक्रम में लगभग सारी पार्टियों के किसान नेता उपस्थित दिखे।

इस अवसर पर किसान ज़िंदाबाद संगठन के संयोजक ईo प्रणव प्रकाश ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में कभी बिहार की स्थिति हरियाणा से भी बेहतर थी। मगर आज ज्यादातर किसान विस्थापित मजदूर बनने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के किसानों की व्यथा कथा बहुत कारुणिक है। यहां के किसान कभी बाढ़, तो कभी सुखाड़ से त्रस्त रहते हैं। फिर जब जम कर खेती करते हैं तो दाम नहीं मिलता है। मसूर 30 रुपये, पुराना प्याज/आलू 1 रुपये प्रति किलो से भी कम और दूध पानी के दाम, बिहार के किसानों की आज सिर्फ दुर्दशा ही है। सूखे के नाम पर दी जाने वाली राहत पूरी तरह से भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी है। बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति अत्यंत ही चिन्ताजनक है। आज कृषि छोड़ बड़ी संख्या में पलायन आम बात हो गयी है। ऐसे हालात में किसानों की सात जायज मांगों को लेकर किसान ज़िंदाबाद किसानों को एकजुट कर संघर्ष करने को प्रेरित कर रहा है।

इस अवसर पर किसान जिंदाबाद के सहसंयोजक सजीव कुमार झा ने बताया कि किसान जिंदाबाद किसानों का किसानों के द्वारा चलाया जा रहा अपना संगठन है। उन्होंने बताया कि कमोबेश हर राजनीतिक दल ने किसानों को ठगा है और उनका विभिन्न तरीकों से शोषण किया है। किसान जिंदाबाद, बिहार के किसानों के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध है।

किसान ज़िंदाबाद के नेता धनंजय कुमार ने इस मौके पर स्थानीय किसानों से अभियान में शामिल होने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने अन्य पेशे के लोगों से भी अभियान में जुड़ने की गुजारिश की और कहा कि वे सभी लोग जिनके शरीर में पेट है किसानों की समस्याओं से अलग नहीं रह सकते। इस अवसर पर किसान ज़िंदाबाद के नेता कुमार कन्हैया ने युवाओं को किसान हित के लिये आगे आने का आहवान किया। इस अवसर पर निरंजन मालाकार, शशिभूषण पासवान, डीगण यादव, सुनील कुमार, उमराव यादव, सत्येन्द्र शर्मा, देव कुमार शर्मा, जहाँगीर आलम,  नवल किशोर प्रसाद, शशिभूषण पासवान, कोमल मांझी, रविन्द्र प्रभाकर, हरिहर सिंह आदि उपस्थित थे।

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