सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर हैं। अब सरकार ने इनके खिलाफ एक्शन लेने का मन बना लिया है। स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव की तरफ से जारी एक आदेश में कहा गया है कि हड़ताली जूनियर डॉक्टरों की वेतन कटौती की जाएगी। राज्य के एक हजार जूनियर डॉक्टर छात्रवृति में बढ़ोतरी की मांग को लेकर बुधवार से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
शुक्रवार को जारी हुए आदेश में कहा गया है कि पीजी छात्रों के कार्य बहिष्कार की अवधि में उनके स्टाइपेंड से ‘नो वर्क-नो पे’ के सिद्धांत के आधार पर कटौती की जाए।वहीं यदि किसी पीजी छात्र द्वारा ओपीडी /ऑपरेशन, इमरजेंसी इत्यादि किसी भी इमरजेंसी मेडिकल सेवा को बाधित किया जाता है तो उनके खिलाफ जरूरी कानूनी कार्रवाई की जाए।आदेश में कहा गया है कि अविलंब कॉलेज की अनुशासनिक समिति की बैठक बुलाई जाए और इस संबंध में उचित फैसला लिया जाए।
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से राज्य के सभी नौ सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई मरीजों के ऑपरेशन को टाल दिया गया है। भागलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में छात्रों ने दो बार ओपीडी बंद करा दिया, जिससे यहां इलाज के लिए आए करीब 500 मरीज बिना इलाज लौट गए। छात्रों ने इंडोर व कोरोना ड्यूटी से भी इनकार कर दिया। इससे सीनियर डॉक्टरों को कोरोना और सामान्य मरीजों के इलाज की कमान संभालनी पड़ी।
वहीं, पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल उनकी मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार अपने ही लिखित निर्देशों को भूल गई है, जिसमें प्रत्येक तीन वर्ष पर उनकी छात्रवृत्ति में बढो़तरी किए जाने की बात कही गई थी। जनवरी, 2020 से जूनियर डॉक्टर छात्रवृत्ति में बढो़तरी का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में अपनी सेवा उन्होंने आगे बढ़कर दी है और अब भी कोरोना यूनिट में वे अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। उन्होंने कॉलेज के प्राचार्य और अधीक्षकों के द्वारा भी बातचीत की पहल नहीं किए जाने पर निराशा जताई।
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