सिटी पोस्ट लाइव : वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी सीएम नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में सबसे युवा मंत्री हैं। महज 41 साल की उम्र में मुकेश सहनी की सफलती की कहानी किसी बॉलीवुड के फिल्मी फंतासी से कम नहीं है। दरभंगा के छोटे से इलाके से उठकर बॉलीवुड में धमाल मचाना और फिर बिहार की सियासत में बड़ी जगह बनाना मुकेश सहनी को बिल्कुल ही अलग साबित करती है। आइए जानते हैं उनके बारे में कैसा रहा है उनका अब तक का सफर —
मुकेश सहनी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक हैं। पहले बॉलीवुड में स्टेज डिजाइनर थे। 2015 के चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार किया था। बाद में खुद की पार्टी बनाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा थे। इस बार सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लड़ा, लेकिन राजद के युसुफ सलाहुद्दीन से महज 1,759 वोटों से हार गए।
वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी दरभंगा जिले के सुपौल बाजार के रहने वाले हैं। मुकेश सहनी मुंबई जाने के बाद वहां एक कॉस्मेटिक शॉप में बतौर सेल्समैन कार्य करते थे। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड फिल्में, टीवी शो और अन्य शो के सेट डिजाइन करने का कार्य आरंभ किया। नितिन देसाई ने उन्हें देवदास का सेट बनाने का ऑफर दिया। काम में सफल हुए तो उन्होंने अपने नाम से एक कंपनी बना ली। नाम दिया- मुकेश सिने सिने वर्रल्ड प्राइवेट लिमिटेड।
उन्होंने इसके अलावा इवेंट मैनेजमेंट का काम भी किया। देखते ही देखते उन्होंने इंडस्ट्री में काम के साथ-साथ नाम और पैसा भी कमा लिया। हालांकि, सामाजिक कार्य और राजनीति में दिलचस्पी के कारण उन्होंने इस फर्म को चलाने के लिए कुछ रिश्तेदार इसमें रखे, ताकि ‘सियासी हसरतों’ को भी वक्त दे सकें।
वर्ष 2010 में उन्होंने बिहार में सहनी समाज कल्याण संस्थान की स्थापना की। दरभंगा और पटना में एक-एक दफ्तर खोले। इस फाउंडेशन के जरिए उन्होंने लोगों से कहा कि वे पढ़ें-लिखें और आगे बढ़ें। साथ ही सियासत में भी रुचि लें। साल 2013 में सन ऑफ मल्लाह के रूप में अपने आप को प्रस्तुत करते हुए अपना प्रचार प्रसार अभियान चलाया। मुकेश सहनी सन ऑफ मल्लाह नाम के साथ अपने समाज के लोगों से मेल मिलाप कर सियासी जमीन तलाशने के साथ राजनीति में उतर गए और विकासशील इंसान पार्टी बनाया।
वर्ष 2019 के चुनाव में वे खगडिय़ा लोकसभा सीट से महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में थे। मुकेश सहनी खगडिय़ा में लोजपा के चौधरी महबूब अली कैसर के हाथों ढाई लाख से ज्यादा वोटों से हार गए। आरजेडी की पूरी फौज उस चुनाव में सहनी के पीछे खड़ी रही, तब भी वे 27 फीसद वोट ही झटक पाए। मुकेश सहनी को 2,67623 मत और लोजपा के चौधरी महबूब अली कैसर को 5,10,193 मत मिले थे।
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