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तबाही के मुहाने पर खड़ा बिहार :जल के लिए मचनेवाला है हा-हाकार

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सिटीपोस्टलाईव:तबाही के मुहाने पर खड़ा बिहार :जल के लिए मचनेवाला है हा-हाकार मचा है.पानी के लिए बहुत जल्द बिहार में हाहाकार मचने वाला है.नदियाँ तेजी से सूख रही हैं.गंगा हाल बेहाल है.आर्सेनिक का स्तर तेजी बढ़ और फ़ैल रहा है.बारिश अभी भी यहाँ औसतन 1100 एमएम वर्ष में होती है.लेकिन उसे सहेजने की व्यवस्था नहीं होने से यह संकट बिक्राक रु लेनेवाला है.आसन्न पेयजल संकट तो है ही साथ ही कृषि के लिए भी पानी की किल्लत होनेवाली है.

तबाही के मुहाने पर खड़ा बिहार :जल के लिए मचनेवाला है हा-हाकार.एक तरफ पेय जल की किल्लत हो रही है तो दूसरी तरफ तेजी से शुद्ध जल के नाम पर बोतल बंद पानी का कारोबार तेजी से फ़ैल रहा है.आरा से पटना के बीच ही सैकड़ों पानी के लगे प्लांट पयेज जल संकट को बढाने में जुटे हैं.500 फीट से भी ज्यादा गहरा बोरिंग कर वो भू-जल का दोहन कर रहे हैं.इतनी गहराई से पानी निकाली जाने के कारण तेजी से जल का स्टार नीचे भाग रहा है.चापाकल सूख रहे हैं.कुवें का पानी नीचे भाग रहा है.जानकारों का कहना है कि ज्यादा गहराई से पानी निकाले जाने से जल का स्तर से भाग रहा है.अगर यही रफ़्तार रहा तो ज्यादा समय नहीं लगेगा.अगले एक दशक में पेय-जल के लिए हाहाकार मच जाएगा.राजधानी पटना समेत आसपास के ईलाकों के सारे बोरिंग सुख जायेगें.कुवें तो पहले ही सूख चुके हैं.

एक आकलन के अगले 25 वर्षों में पानी की मांग 145 बिलियन क्यूबिक मीटर हो जायेगी .105 बीसीएम पानी कृषि कार्य के लिए चाहिए होगा. 40 बीसीएम गैर कृषि कार्य के लिए भी .लेकिन पानी की उपलब्धता मात्र 132 बीसीएम रहेगी. मांग और उपलब्धता के बीच की यह खाई भयंकर संकट पैदा करेगी.बारिश के बाद सतह जल की उपलब्धता 132 बीसीएम है. इसे प्रभावकारी ढंग से रोककर जलाशय में रखने की व्यवस्था एक बीसीएम भी नहीं है.गावं देहात के अनपढ़ लोगों की बात कौन करे,सरकार खुद शहर केनाहर –आहार को बंद कर बहुमंजिली ईमारते खादी कर चुकी है.

बिहार में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में कमी मह्सुश होने लगी है. यह उपलब्धता वर्ष 2001 में यह 1594 क्यूबिक मीटर था, जो 2011 में घटकर 1273 क्यूबिक मीटर ही रह गया है. वर्ष 2025 में यह उपलब्धता 1006 क्यूबिक मीटर और 2050 तक 635 क्यूबिक मीटर प्रोजेक्ट किया गया है.जलाशयों में पानी को स्टोर कर रखने की वर्तमान में क्षमता 957 मिलियन क्यबिक मीटर की है. सरकार 8.76 एमसीएम की स्टोरेज की क्षमता वाले कुंडघाट जलाशय योजना पर काम कर रही है,जो नाकाफी साबित होगा.

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