सिटी पोस्ट लाइव : पटना से करीब 50 किलोमीटर दूर नालंदा जिले के रहुई ब्लॉक के खाजे इतवार सराय गांव की सुषमा को आज शराबबंदी पर अपने मन की बात पीएम के साथ शेयर करने का मौका मिला. लेकिन इतना कम समय पीएम ने दिया कि वह शराबबंदी पर अपने मन की बात कह नहीं पाई. पीएम उससे मुखातिब हुए थे शराबबंदी पर उसके मन की बात जानने के लिए. लेकिन अपने दो मिनट के सवाल जबाब में इससे जुड़ा कोई सवाल ही नहीं पूछा. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से ‘नरेंद्र मोदी ऐप’ के जरिए रूबरू हुए. महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि आज देशभर की 1 करोड़ से ज्यादा महिलाओं से संवाद करने का उन्हें अवसर मिला है.
मोदी –अकेली काम करती हैं या पूरा समूह काम करता है ?
सुषमा –गावं की 30 महिलाओं का समूह काम करता है. सबलोग मिलकर काम करते हैं.
मोदी- खेती से जुड़ा काम करती है या नहीं ?
सुषमा -खेती का काम ही करते हैं .
मोदी- क्या करती हैं ?
सुषमा –मकई की खेती करते हैं. बाज़ार नहीं था. बिचौलिए आने-पौने दम पर फसल खरीद लेते थे.हमारे पास बाज़ार नहीं था. हमने 1500 किसान महिलाओं का समूह बनाया .खेती को आगे बढ़ाया और बिचौलियों को बीच से हटाकर सीधे बाज़ार तक पहुँचाने की कोशिश की.
मोदी – गावं वाले तो आपको लीडर मानते होंगें ? जबतक सुषमा जबाब देती पीएम ने धन्यवाद और बधाई दे दी. यानी एक से दो मिनट की बातचीत में मुश्किल से सुषमा अपनी बात रख पाई. वह पीएम से रु-बरु हुई थी शराबबंदी पर अपने मन की बात कहने के लिए, पीएम से पुरे देश में शराबबंदी लागू करने की अपील करनेवाली थी लेकिन उसे पीएम ने मौका ही नहीं दिया .
पीएम से वह अपने मन की बात तो नहीं कह पाई .लेकिन आप जरुर उसकी कहानी जान लीजिये.सुषमा ने शराबबंदी के खिलाफ अभियान अपने घर से किया. जब पहली बार पति और घरवालों की वजह से शराब बंद करवाने के लिए उसने आवाज उठाया उसके ऊपर जानलेवा हमला हुआ. फिर भी अपने संकल्प से पीछे नहीं हटी और डटी रही. सुषमा ने अपने सेल्फ हेल्फ़ ग्रुप की बहनों की मदद से ना सिर्फ अपने परिवार के अंदर, बल्कि गांव में भी इसको लेकर मोर्चा खोला और सफलता पाई. सुषमा और उसके साथियों को जरूरत थी उनके आंदोलन को कानूनी जामा पहनाने की. इसके लिए राज्य सरकार की दखल की जरूरत थी.
उसने अपनी महिला साथियों के साथ 9 जुलाई 2015 को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में ‘मद्य निषेध दिवस’ के मौके पर हुए एक समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने कड़वे अनुभव सुनाए. इस समारोह में पहुंची उसकी हजारों सहेलियों ने एक साथ आवाज दिया था- ‘मुख्यमंत्रीजी शराब को बंद कराइए, इससे हजारों घर-परिवार बबार्द हो रहे हैं’. नीतीश कुमार ने उसी समय एलान कर दिया था कि अगर वे दोबारा सत्ता में आएंगे, तो शराब पर पूरी तरह से पाबंदी लगा देंगे. इसलिए शराबबंदी लागू करवाने का पूरा श्रेय इन्हीं महिलाओ को जाता है.शराबबंदी के बाद उसे सफल बनाने में भी ईन महिलाओं ने अहम् भूमिका निभाई .आज इन्हीं महिलाओं के अनुभव को पीएम मोदी सुनने वाले थे .ये महिलायें पीएम मोदी से देश भर में शराबबंदी लागू करने की मांग करनेवाली थी .लेकिन पीएम ने इन्हें मौका ही नहीं दिया.
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