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सुभाष चंद्रा ने सुनाया Zee का अनसुना किस्सा.

10 लाख करोड़ का बिजनस कोई 30-40 हजार करोड़ में क्यों नहीं लेना चाहेगा...

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सिटी पोस्ट लाइव :जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) के संस्‍थापक डॉ सुभाष चंद्रा ने खुलासा किया है कि क्यों दुनियाभर के निवेशकों की नजर उनके ग्रुप पर लगी रहती है. सुभाष चंद्रा ने बड़ी साफगोई के साथ बिजनस में हुई कई गलतियों के बारे में बताया है.उन्होंने कहा कि ग्रुप की बाजार हैसियत भले 30-40 हजार करोड़ रुपये के आसपास है लेकिन, इसे आज की तारीख में 10 लाख करोड़ रुपये खर्च करके भी खड़ा नहीं किया जा सकता है. यह सिर्फ हो गया है. दोबारा नहीं हो सकता है. चंद्रा ने स्‍वीकार किया है कि उन्‍होंने कारोबार की शुरुआत नियम-कायदों पर अक्षरश: चलकर नहीं की. इसके पीछे उन्‍होंने तब की पॉलिसियों को कारण बताया.

 

चंद्रा के मुताबिक, अगर वह इतने सारे बिजनस में हाथ में डाल पाए तो उसका सिर्फ एक कारण था कि उन्‍होंने हर वक्‍त आंख-कान खुले रखे.जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) को टेकओवर की कोशिशें होती रही हैं. उन्‍होंने कहा है कि ZEEL की वैलुएशन बेशक 30-40 हजार करोड़ रुपये है. लेकिन, इसे 10 लाख करोड़ रुपये में भी खड़ा नहीं किया जा सकता है. उनके कारोबार पर पूरी दुनिया की नजर रही है.उन्होंने कहा कि लड़की सुंदर होती है तो उसके पीछे बहुत लड़के आते हैं. उनके ग्रुप की यही स्थिति है. भला कौन 10 लाख करोड़ रुपये का बिजनस 30-40 हजार करोड़ में नहीं चाहेगा?

 

सुभाष चंद्रा ने बताया कि जी को हथियाने की कोशिश में बहुत लोग थे. इनवेस्‍को के अलावा उसके सपोर्टर भी पीछे से इसमें लगे हुए थे. वे पूरी तरह से कारोबार का अधिग्रहण करना चाहते थे. लेकिन, वह इसे बचाने में कामयाब रहे. सोनी के साथ विलय पर उन्‍होंने कि वे पार्टनर हैं. बेशक, उसके पास मेजॉरिटी शेयर हैं. लेकिन उससे फर्क नहीं पड़ता है. अपनी हिस्‍सेदारी के 41 फीसदी से घटकर 4 फीसदी पहुंचने पर उन्‍होंने कहा कि इसमें आगे सुधार होगा. इनवेस्‍को को लेकर उन्‍होंने कहा कि जब वे टेकओवर नहीं कर सके तो उनकी दिलचस्‍पी खत्‍म हो गई. वह काफी पहले किसी को कंपनी में अपने शेयर बेच चुकी है. जिसे उसने ये शेयर बेचे, चूंकि वह भी टेकओवर नहीं कर सका तो उसका भी इंटरेस्‍ट खत्‍म हो गया. वे जी पर कंट्रोल चाहते थे, जब ऐसा नहीं कर सके तो उन्‍होंने शेयर बेचने शुरू कर दिए.

 

हिसार से 17 साल की उम्र में जब वह दिल्‍ली आए तो उनके सामने संभावनाओं का समंदर था. उन्‍होंने इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बिजनस में हाथ डालने को गलती बताई. हालांकि, चंद्रा ने इस विफलता के पीछे कहा कि जिन लोगों पर उन्‍होंने भरोसा किया वे सही नहीं थे.दिग्‍गज कारोबारी मुताबिक, उन्‍होंने 12 नए वेंचर शुरू किए. इनमें से 6 सफल हुए और 6 फेल. जो 6 सफल हुए उनके बारे में भी लोग कहते थे कि फेल हो जाएंगे. जी के मुखिया ने बताया कि अगर आप हर जगह आंख कान खुले रखते हैं तो आपको समस्‍याएं दिखती हैं. ये समस्‍याएं बिजनस आइडिया देती हैं. पूरे स्‍टार्टअप इकोसिस्‍टम की उपज में यही है.

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