“विशेष” : शराब,कोडीन युक्त सीरप के बाद,पॉलीथिन बना पुलिस की वसूली का बेहतरीन जरिया
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : शराबबंदी के बाद पुलिस को अवैद्य वसूली का बेहतरीन जरिया हाथ लगा है. पुलिस शराब की खेप और शराब बरामदगी के नाम पर जमकर लूट का खेल खेलने का अब आदी हो चुकी है. शराब के बाद पुलिस को कोडीन युक्त सीरप की बरामदगी वसूली का अजीम जरिया बना. पुलिस वाले शराबी,नशेड़ी से लेकर कारोबारियों से मोटी रकम वसूलना,अपना नैतिक कर्तव्य और धर्म बना चुके हैं. इस खेल में लाखों की उगाही के खेल बिहार के सभी जिलों में खेले जा रहे हैं. अब पुलिस को वसूली के लिए एक नया तोहफा पॉलीथिन के रूप में मिला है.
शहरी इलाके से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों में पॉलीथिन बन्दी के बाद,उसका प्रयोग ना हो सके,इसके नाम पर पुलिस जमकर वसूली की प्रैक्टिस में दिन और रात एक किये हुए है. पॉलीथिन कारोबारियों के पास थोक में माल अभी डंप हैं. वे जहां इसे खपाने की जुगत में हैं,वहीं पुलिस वाले पॉलीथिन देखते ही,बाज की तरह लपकते हैं. वैसे कुछ पुलिस अधिकारी दिखावे के तौर पर दुकानदारों पर जुर्माने भी लगा रहे हैं. चूंकि पॉलीथिन ना तो दुकानदार को इस्तेमाल करना है और ना ही आमलोगों को. ऐसे में पुलिस वालों की गिद्ध नजर दुकानदार से लेकर ग्राहकों पर टिकी रहती है. ऐसा नहीं है कि पुलिस के वसूली के लिए महज ये तीन रास्ते ही हैं. वसूली के कई रास्ते हैं जिससे पुलिस के छोटे अधिकारी से लेकर बड़े अधिकारी तक मालामाल होते रहे हैं. पैसे देकर एसपी की कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी,पहले पद पर आसीन होने वाले खर्चे को निकालते हैं और फिर ऊपर सरकार तक पैसे देने होते हैं के नाम पर जिले के विभिन्य थानों को बेचते हैं और मासिक राशि भी थानेदार पर तय कर देते हैं. केस को ट्रू और फॉल्स करने के अलावे दफा कमजोर करने और आरोपियों के नाम हटाने के नाम पर अलग से उगाही होती है.एसपी से नीचे के अधिकारी अपने-अपने तरीके से दांव खेलकर मोटी कमाई करते हैं . रही थानेदार की बात,तो असली खेल वहीं से शुरू होता है.
कांड दर्ज करने में उगाही,दफा लगाने में उगाही,डायरी में मदद के नाम पर उगाही और निर्दोषों को पकड़ कर उसे छोड़ने में,उगाही का खेल बदस्तूर जारी है. बिहार के सभी जिलों में विभिन्य थाने की आप निष्पक्ष पड़ताल करवा लें,तो आप पाएंगे कि थाने में कुछ तथाकथित पत्रकार और असामाजिक तत्व थाने में बिचौलिए की भूमिका निभाते हैं. यह तमाम प्रक्रिया अब अपसंस्कृति नहीं बल्कि संस्कृति का हिस्सा बन गयी है. पीड़ित को ससमय वाजिब न्याय मिल पाना नामुमकिन है ।पुलिस वालों को अच्छे लोग खटकते हैं. अच्छे लोग पुलिस वालों की आंखों की किरकिरी होते हैं. अमूमन पुलिस वाले अच्छे लोगों पर तरह-तरह का दबाब बनाकर रखना चाहते हैं,ताकि उनकी काली करतूत का खुलासा ना हो सके. हम अपने इस आलेख के जरिये दुकानदार भाईयों के अलावे आम जनता से भी पुरजोर अपील करते हैं कि वे पॉलीथिन का प्रयोग किसी भी सूरत में ना करें. पॉलीथिन के प्रयोग से जनमानस को भारी नुकसान होता है ।सभी लोगों के द्वारा जब पॉलीथिन का प्रयोग बंद हो जाएगा,तो पुलिस को वसूली का मिला नायाब जरिया भी खत्म हो जाएगा. वैसे अभी पुलिस वाले पॉलीथिन पकड़ो और वसूली करो के अभियान में सिद्दत से जुटी है. पॉलीथिन अभी पुलिस वालों की जेब भरने के साथ-साथ मूंछों पर खूब ताव दिला रहा है. इस तरह के कर्तव्य गिरावट के लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेवार है.वैसे हालिया कुछ वर्षों में पुलिस अभद्र,घूसखोर और निरंकुश हो गयी है. अगर संविधान के दायरे से इसी तरह निकलकर पुलिस वालों का अमानवीय रवैया लगातार जारी रहा,तो वह दिन दूर नहीं जब समाज द्वारा बड़े प्रतिकार की पटकथा लिखी जाएगी.
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट
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