सिटी पोस्ट लाइव : पटना हाईकोर्ट में आज शुक्रवार को शिक्षक नियोजन मामले पर सुनवाई हुई, लेकिन कोई आदेश नहीं निकल सका.दरअसल, नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड ने सरकार के सुझाव को नहीं माना और अपना सुझाव पेश किया, जिसके बाद राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल ने कोर्ट से समय मांगा। अब अगली सुनवाई 31 मई को होगी. राज्य में प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के शिक्षकों के 90762 पदों और माध्यमिक उच्च माध्यमिक विद्यालय के 30020 पदों पर छठे चरण के नियोजन की चल रही प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है. इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को सरकार की ओर से मेंशनिंग के बाद की गई.
नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड के जनरल सेक्रेटरी और वकील SK रूंगटा ने बताया कि कोर्ट में सरकार की ओर से सुझाव दिया गया कि दिव्यांगों के 4 प्रतिशत कोटा को छोड़ कर बाकी पर नियोजन प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाए. फेडरेशन यह मानने को तैयार नहीं हुआ. फेडरेशन ने कहा कि जब दिव्यांगों के लिए सही तरीके से वैकेंसी ही नहीं निकाली गई तो इससे अभ्यर्थी अप्लाई भी नहीं कर सके हैं.फेडरेशन ने अपनी ओर से सुझाव दिया कि 15 दिनों के अंदर फिर से नोटिफाई करके दिव्यांगों से आवेदन मांग लिया जाए. 15 दिन के बाद मैरिट तैयार कर लीजिए और इसी वैकेंसी के जरिए बहाल कर लीजिए. फेडरेशन ने कहा कि बैकलॉग की बात हम अभी नहीं कर रहे. फेडरेशन की इस मांग पर एडवोकेट जनरल तैयार नहीं हुए और उन्होंने इस पर सरकार में विमर्श करने के लिए समय लिया है.
कोर्ट को फेडरेशन ने बताया कि सरकार ने दिव्यांगों को रिजर्वेशन देने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई, वह कानून सम्मत नहीं है. यह नहीं कर सकते कि SC ब्लाइंड को रिजर्वेशन देंगे या ST ब्लाइंड या जनरल ब्लाइंड को रिजर्वेशन देंगे. इसलिए सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि कानून सम्मत तरीके से सरकार किस तरह से दिव्यांगों को रिजर्वेशन देगी. पहले से इन्हें रिजर्वेशन की जो प्रक्रिया सरकार ने शिक्षक नियोजन में अपना रखी है, वह गलत है. कोर्ट को दरभंगा का उदाहरण दिया गया कि वहां रोस्टर में ब्लाइंड या डिसएबल के नाम पर कुछ वैकेन्सी रखी ही नहीं गई है. फेडरेशन ने पूछा कि चार केटेगरी में बंटना है तो सरकार बताए कि किस जिले में किस तरह रिजर्वेशन सरकार रखेगी.।
सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में बताया कि दिव्यांगों की वजह से सभी लोगों की बहाली प्रक्रिया रुकी हुई है. इस पर नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड ने कहा कि हम भी चाहते हैं कि बहाली प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो. हमें भी इसकी जल्दी है, लेकिन हमारा कानूनन हक सरकार सही तरीके से निर्धारित करे.कानून के दायर से बाहर जाकर अगर फैसला सरकार लेगी तो फेडरेशन को मंजूर नहीं होगा.
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