सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर खुलकर विरोध किया। हेमंत सोरेन ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से निजीकरण और व्यापारीकरण को बढ़ावा मिलेगा और समानता के मौलिक अधिकार पर आघात होगा। उन्होंने कहा कि इस नीति से सहकारी संघवाद की भावना को चोट पहुंचा है, नई नीति को लागू करने के लिए बजट कहां से लाएंगे, यह स्पष्ट प्रावधान नहीं है, इससे झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों को नुकसान होगा। मुख्यमंत्री सोमवार को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की उपस्थिति में राज्यपाल तथा शिक्षा मंत्रियों के उच्चतर शिक्षा के रूपांतर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका पर आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से अपनी बात रख रहे थे।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा नीति पर अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि भारत एक विविधता से भरा देश है, यहाँ विभिन्न राज्यों की जरूरतें अलग-अलग हैं और जैसा कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, इसे बनाने में सभी राज्यों के साथ खुले मन से चर्चा होनी चाहिए थी, जिससे कोई राज्य इसे अपने ऊपर थोपा हुआ नहीं माने । उन्होंने इस नीति को बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और परामर्श के अभाव की बात कही । हेमंत सोरेन ने कहा कि आज जब नीति बनकर तैयार हो गयी है तब केंद्र सरकार राज्यों के साथ इस पर चर्चा कर रही है , अच्छा होता कि इस पर पहले बात होती और सभी राज्य सक्रिय रूप से इसे बनाने में अपनी भागीदारी निभाते । सोरेन ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि विगत कुछ समय से कई सार्वजनिक संस्थानों के निजीकरण के निर्णय , वाणिज्यिक खनन और जीएसटी पर केंद्र सरकार के एकतरफ़ा निर्णय आदि के बाद अब नई शिक्षा नीति के नियमन में राज्यों से सलाह मशविरा का अभाव उन्हें सहकारी संघवाद की बुनियाद पर आघात प्रतीत होती है।
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