City Post Live
NEWS 24x7

जिंदगी झोंककर जो पिता बच्चों की करते हैं परवरिश, आज उन्हीं की होनी चाहिए पूजा

इस मशीनी और आधुनिक युग में फादर्स डे है एक फैशन

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

जिंदगी झोंककर जो पिता बच्चों की करते हैं परवरिश, आज उन्हीं की होनी चाहिए पूजा फादर्स डे पर गरीब पिता को याद करना भी है मुश्किल, शहरी पिताओं ने ग्रामीण पिताओं को लीला

सिटी पोस्ट लाइव : आज की भागम-भाग, उहापोह और कोलतार की सड़कों पर रेंगती जिंदगी में पौराणिक पर्व और त्योहार अपने अर्थ खोते जा रहे हैं। हर पर्व और त्योहार महज ड्यूटी के तर्ज पर प्रतीत होता है। निष्ठा, समर्पण, भावना और आत्मीयता कहीं नही दिखती है। ऐसे में फादर्स डे कितना प्रासंगिक और अर्थवान है, इसपर गम्भीर चिंतन की जरूरत है। ग्रामीण इलाके में तो इसकी करीने से चर्चा और भनक तक नहीं है। रही छोटे और बड़े शहरों की बात,तो यह डे उच्च वर्ग से शुरू होकर विकासशील मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है। छोटे-बड़े शहरों के गरीब तबकों के लोगों को दो जून की रोटी के जुगाड़ में इस डे का पता ही नहीं चलता है।सही मायने में यह डे महत्वपूर्ण होता तो वृद्धा आश्रम में हमें एक भी बुजुर्ग नहीं मिलते। पश्चिमी सभ्यता की तर्ज पर बस कुछ होना चाहिए। असल जिंदगी में तो ठीक से पिता का सम्मान उनके बच्चे करते नहीं है और मनाते हैं फादर्स डे।हम अपने पिता का हर पल वंदन करते हैं।

किसी एक दिवस में माता-पिता को समेटा हुआ सम्मान देना, हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। लेकिन एक तिथि मुकर्रर है कि आज फादर्स डे है,तो हम अपने पिता के साथ-साथ उन तमाम पिताओं का नमन करते हैं, जो हर रोज अपनी जिंदगी से ज़ंग लड़ते हुए अपनी संतान को पालते हैं। हैप्पी फादर्स डे पापा…

सहरसा से संकेत सिंह की रिपोर्ट

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.