1 अप्रैल से शुरू होगा NPR, नहीं मांगे जाएंगे दस्तावेज,आधार कार्ड भी नहीं होगा अनिवार्य.
सिटी पोस्ट लाइव : केंद्र सरकार ने NPR को लेकर ये साफ़ कर दिया है कि एनपीआर के दौरान लोगों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा.सरकार के अनुसार आधार नंबर भी लोग स्वेच्छा से ही उपलब्ध करा सकते हैं .आधार अनिवार्य नहीं होगा. केंद्र सरकार राज्यों के साथ भी एनपीआर की तैयारियों को लेकर चर्चा कर रही है. एनपीआर को अपडेट करने के दौरान परिवार और व्यक्ति से जुड़ी डेमोग्राफिक और अन्य जानकारी जुटाई जाएगी.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में किए गए सवाल के लिखित जवाब में कहा कि 2020 एनपीआर के निर्देश पत्र को तैयार किया जा रहा है. लोगों को बहुत जल्द ये जानकारियाँ उपलब्ध करा दी जायेगीं.केंद्र सरकार के गृह राज्य मंत्री ने लिखित सवाल के जवाब में कहा है कि एनपीआर अपडेट करने के दौरान किसी भी तरह का दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. एनपीआर का काम देशभर में 1 अप्रैल से शुरू होगा और 30 सितंबर 2020 को समाप्त हो जाएगा. नित्यानंद ने कहा कि जनसंख्या रजिस्टर एक ऐसा रजिस्टर है जिसमें किसी व्यक्ति के गांव, शहर, वार्ड में उसके निवास की जानकारी दर्ज होती है.
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि एनपीआर सबसे पहले 2010 में तैयार किया गया और 2015 में उसे अपडेट किया गया. नागरिकता कानून, 1955 के तहत नागरिकता (नागरिकता पंजीकरण व राष्ट्रीय पहचान पत्र) नियम, 2003 के नियम 3 के उपनियम-4 को तैयार किया गया जिसके तहत केंद्र सरकार को अप्रैल से सितंबर, 2020 के बीच जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करना होगा.उन्होंने कहा कि लेकिन इसमें असम शामिल नहीं होगा.
गौरतलब है कि पार्टियां सीएए के साथ ही एनपीआर का भी विरोध कर रही है. यहाँ तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी NPR में शामिल किये गए 5 सवालों को गैर-जरुरी बताते हुए उसे बाहर किये जाने की मांग की है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुसार ईन पांच सवालों की वजह से भ्रम और भय पैदा हो रहा है.ये पांच सवाल ऐसे हैं जिसका जबाब गरीब लोग नहीं दे सकते .ईन सवालों का जबाब देना अनिवार्य भी नहीं है, फिर इन्हें NPR में शामिल किये जाने का भी कोई मतलब नहीं है.अब देखना ये है कि नीतीश कुमार की इस मांग पर केंद्र सरकार कितनी गंभीरता से विचार करती है.
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