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यूं ही नहीं कहा जाता है 73 साल के रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक,लम्बा है राजनीतिक कैरियर

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यूं ही नहीं कहा जाता है 73 साल के रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक,लम्बा है राजनीतिक कैरियर

सिटी पोस्ट लाइव-मौसम वैज्ञानिक के नाम से पसिद्ध एवं पूर्व कई मंत्रालयों को संभाल चुके बिहार के दलितों के प्रमुख चेहरा एक बार फिर से भारत सरकार में मंत्री बनने जा रहे हैं. इन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिलना तय माना जा रहा है.गुरुवार को नरेन्द्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह है. 73 साल के रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा ,एनडीए की सहयोगी है और इस बार उनकी पार्टी के सभी छह प्रत्याशी जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचे हैं. पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी हैं. उन्होंने सोलहवीं लोकसभा में बिहार के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन इस बार उन्होंने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा है और वो राज्यसभा से सांसद बनेंगे.

रामविलास पासवान ने अपनी शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से पूरी की है. उन्होंने दो शादियां कीं. उनकी पहली पत्नी का नाम राजकुमारी देवी है जबकि दूसरी पत्नी का नाम रीना पासवान है. रामविलास पासवान के तीन बच्‍चे हैं जिनमें सांसद चिराग पासवान, आशा पासवान, उषा पासवान शामिल हैं. 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के दलित परिवार में जन्मे पासवान एम.ए और एलएलबी हैं. रामविलास पासवान पिछले 50 सालों से राजनीति कर रहे हैं और वो आज भारतीय राजनीति में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं.

1969 में पहली बार पासवान बिहार के विधानसभा चुनावों में संयुक्‍त सोशलिस्‍ट पार्टी के उम्‍मीदवार के रूप निर्वाचित हुए. 1977 में छठी लोकसभा में पासवान निर्वाचित हुए वहीं साल 1982 में हुए लोकसभा चुनाव में वो दूसरी बार विजयी रहे. 1989 में नवीं लोकसभा में तीसरी बार लोकसभा में चुने गए. 1996 में दसवीं लोकसभा में वे निर्वाचित हुए. 2000 में पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोकजनशक्‍ति पार्टी का गठन किया. बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा में भी पासवान विजयी रहे और इस दौरान वो केंद्र की सरकारों में मंत्री बने.

पासवान को भारतीय राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है. ये बात वो खुद भी कहते हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि केंद्र में किसी भी दल की सरकार हो रामविलास पासवान मंत्री जरूर होंगे. रामविलास पासवान अटल बिहारी बाजपेयी की एनडीए सरकार में भी मंत्री थे तो यूपीए-1 की सरकार में भी मंत्री बने. राजनीति के शुरूआती दौर में नीतीश कुमार और लालू यादव के साथ जुड़े रहने वाले रामविलास पासवान ने 2009 के लोकसभा चुनावों के लिए फिर लालू के साथ गठबंधन किया और यूपीए से जुड़ गए. रामविलास पासवान पर परिवारवाद का आरोप लगता रहा है. उनकी पार्टी के इस बार छह सांसद लोकसभा पहुंचे हैं जिनमें से पुत्र समेत तीन सदस्य अपने ही घर के हैं. पासवान भी राज्यसभा कोटे से सांसद जाएंगे यानी की सात में से चार सांसद पासवान के घर के ही होंगे.

बता दें कि रामविलास पासवान 1989 में वीपी सिंह की सरकार के दौरान श्रम कल्याण मंत्री बने फिर केंद्रीय रेल मंत्री भी बने. पासवान केंद्र में टेलीकॉम मंत्री और फिर कोयला मंत्री भी रहे. 2004 में वो यूपीए से जुड़ गये और आगे चलकर रसायन एवं खाद मंत्री और फिर इस्पात मंत्री बने. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पासवान खाद्य उपभोक्ता मंत्री बनें. हालांकि इस बार माना जा रहा था कि लोजपा प्रमुख की पारम्परिक सीट हाजीपुर से उनके मतदाता नाराज हैं और वहाँ से उनकी हार होगी. इस कारण से वें स्वयं चुनाव भी नहीं लड़े और राज्य सभा से संसद जाने का फैसला किया. लेकिन मोदी की लहर ने इस बार उनके सभी सीट की जीत पक्की कर दी. अब वें मोदी कैबिनेट में मंत्री भी बनने जा रहे हैं.                                                               जे.पी.चंद्रा की रिपोर्ट                                    

                                                                                                                       

 

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