परिवहन विभाग के आरटीओ के साठगांठ से सैकड़ों ओवरलोडेड ट्रक बिना राजस्व दिए हो रहे हैं पार
सिटी पोस्ट लाइव : कैमूर जिले के परिवहन विभाग के आरटीओ परिवहन विभाग के आरटीओ के साठगांठ से प्रतिदिन बालू लदे सैकड़ों ओवरलोडेड ट्रक बिना राजस्व दिए पार हो रहे हैं. बालू लदे ओवरलोड ट्रकों को रोकने के लिए सरकार ने परिवहन विभाग के दो-दो RTO को तैनात कर रखा है. जो गाड़ियों की लगातार जांच कर सरकार के राजस्व का इजाफा करेंगे. लेकिन इस विभाग के अधिकारियों के शिथिलता के कारण सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपए राजस्व का चूना यही अधिकारी लगा रहे हैं. राजस्व की चोरी ना हो इसके लिए सरकार ने इन अधिकारियों की ड्यूटी बहाल कर रखा है. लेकिन जो आंकड़े हाथ लगे हैं उससे यह बात साफ हो जाती है कि यह अधिकारी सिर्फ अपनी ही जेब गर्म करने में बेचैन है. सरकार को राजस्व कैसे मिले इसकी जरा भी परवाह उनको नहीं है.
कुछ माह पहले ही बालू लदे ओवरलोड ट्रकों को पकड़कर छोड़ने के मामले में जिलाधिकारी ने खनन विभाग के इंफोर्समेंट अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुके हैं. फिर भी जिला पदाधिकारी के कड़े तेवर के बावजूद अधिकारियों के आदेश को ही परिवहन विभाग के आरटीओ ठेंगा दिखा रहे हैं . जिलाधिकारी ने ओवरलोड गाड़ियों पर नकेल कसने के लिए रूटीन के हिसाब से पदाधिकारियों का ड्यूटी डाल रखा है, लेकिन जिलाधिकारी के आदेश का ही अवहेलना कर पैकेट गर्म करने में जुटे हैं पदाधिकारी. 25 सितंबर को टोल प्लाजा से कुल 397 बालू लदे ओवरलोडेड गाड़ियां पार हुई है, लेकिन इनमें से 40 गाड़ियों पर जिला परिवहन पदाधिकारी ने लगभग साढे सात लाख का फाइन ठोका. वहीं परिवहन विभाग के आरटीओ पवन कुमार ने मात्र तीन ट्रकों से सत्तर हजार एक सौ का ही वसूली कर पाए. वही बालू लदे ओवरलोड गाड़ियों पर लगाम कसने के लिए आरटीओ शैलेंद्र कुमार ने मात्र दो बालू लदे ट्रकों को पकड़ा और तेतालिस हजार सात सौ का ही फाइन किया. बाकी गाड़ियां बिना रोक-टोक के सरकार को बिना राजस्व दिये ही निकलती चली गई. परिवहन विभाग आरटीओ शैलेंद्र कुमार और पवन कुमार की ड्यूटी विभाग ने आठ – आठ घंटे की लगाई है. लेकिन इन दोनों अधिकारियों द्वारा मात्र एक दिन में पांच ही बालू लदे ओवरलोडेड गाड़ियों को पकड़ पाये, और सैकड़ों गाड़ियां बिना राजस्व दिये ही पार हो गई. यह आंकड़ा कई तरह के सिस्टम पर सवाल खड़े करती है.
ट्रक मालिकों के अनुसार परिवहन विभाग के आरटीओ द्वारा चंद पैसे उगाही कर ट्रकों को आसानी से पार होने दिया जाता है. जिससे सरकार का राजस्व मिले या ना मिले लेकिन उनका अपना पैकेट गर्म जरुर हो जाता है. तभी तो 25 सितंबर को सघन जांच अभियान चलाने के बाद भी दोनों आरटीओ के द्वारा मात्र 5 गाड़ियों को ही पकड़ा गया. कई ट्रक मालिकों ने इनके ऊपर इंट्री चलाने का भी आरोप लगा रखा है. वहीं परिवहन विभाग के आरटीओ पवन कुमार और शैलेंद्र कुमार ने आरोपों का खंडन करते हुए बताया कि -“जितनी गाड़ियां दिखाई दी उनको पकड़ा गया, गाड़ियां पकड़ने के दौरान कुछ गाड़ियां पार भी हो गई. हमारे पास और कुछ सक्षम पदाधिकारी अगर मिल जाए तो और गाड़ियों को पकड़ा जा सकता है.” लेकिन सबसे बड़ा सवाल सिस्टम पर खड़ा होता है, की लगभग चार सौ गाड़ियां अभियान लगाने के बाद भी आसानी से बिना राजस्व चुकाए आखिर कैसे चली जाती हैं. जब आठ-आठ घंटे अधिकारी इमानदारी पूर्वक अपनी ड्यूटी नेशनल हाईवे 2 पर निभाते हैं तो फिर एक दिन में बिना फाइन के इनके उपस्थिति में टोल प्लाजा से 400 गाड़ियां कैसे पार कर गई. अधिकारी लाख बहाना करें, लेकिन अपने ड्यूटी से भाग नहीं सकते. जिसके लिए सरकार लाखों रुपए खर्च कर विभाग में राजस्व जमा कराने की जिम्मेदारी सौंपी है .वह अपनी जिम्मेवारी से मुंह मोड़ रहे हैं. सवाल यह है कि वैसे अधिकारियों पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं होती?. जरूरत है ऐसे पदाधिकारियों के ऊपर थोड़ा नकेल कसने की. जिससे सरकार के राजस्व का इजाफा हो सके.
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