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विधानसभा में शिक्षा के मुद्दे पर जोरदार हंगामा,अध्यक्ष विजय चौधरी ने ली चुटकी

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विधानसभा में शिक्षा के मुद्दे पर जोरदार हंगामा,अध्यक्ष विजय चौधरी ने ली चुटकी

सिटी पोस्ट लाइव- बिहार में अभी विधानमंडल का मॉनसून सत्र चल रहा है. ऐसे में लाजमी है कि बिहार में कई मुद्दों पर घेरने का विपक्ष को मिला है तो विपक्ष इस मौके को हाथ से नहीं जाने देगा. मंगलवार को विधानसभा में वही नजारा देखने को मिला जब शिक्षा के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों ने शिक्षा मंत्री को जमकर घेरा. प्रश्नकाल में अधिकांश सवाल शिक्षा विभाग से जुड़े थे. इस बीच कुछ हंसी-मजाक के पल भी देखने को मिला जब विधानसभा अध्यक्ष ने शिक्षामंत्री से कहा कि आज तो आपका बैठना मुश्किल हो गया है.

दरअसल शिक्षा मंत्री कृष्णंदन प्रसाद वर्मा का सदस्यों के सवाल का जवाब देते-देते पसीना छूट रहा था. वे एक सवाल का जवाब दे कर बैठ हीं रहे थे कि दूसरा सवाल भी शिक्षा विभाग से जुड़ा आ जा रहा था. इस पर बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने चुटकी ली और कहा कि आज तो आपको बैठना भी मुश्किल हो गया है मंत्री जी. विधानसभा अध्यक्ष इतने भर से हीं नहीं रूके. आगे उन्होंने कहा कि आपको समय सीमा पीछा नहीं छोड़ रहा है.

इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि आज सवाल मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा है. दरअसल बिहार विधानसभा में आज अधिकांश सवाल शिक्षा विभाग से था. कई सवाल में शिक्षा मंत्री उलझे भी नजर आ रहे थें. इसी उलझन के बीच एक सरकारी स्कूल की जमीन पर दबंगो द्वारा कब्जा के सवाल में उलझे शिक्षा मंत्री को अध्यक्ष ने नसीहत भी दे दी. अध्यक्ष विजय चौधरी ने कहा कि अगर सरकारी स्कूल की जमीन पर दबंगों का कब्जा है तो उस पर क्यों नहीं कार्रवाई हो रही है.

बता दें कि बिहार में सबसे अधिक नीतीश सरकार की फजीहत हुई है तो वह है शिक्षा विभाग. बिहार में स्कूल तो हैं लेकिन उसमें पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं. सरकार शिक्षकों की बहाली लम्बे समय से नहीं कर रही है जबकि प्रत्येक वर्ष कई हजार विद्यार्थी मैट्रिक एवं इंटर पास हो रहे हैं. ऐसे शिक्षा की गुणवता पर असर पड़ना लाजमी है.हालांकि शिक्षा मंत्री ने नई नियुक्तियों का पिटारा खोला है लेकिन TET -STET विद्यार्थियों के सामने सबसे बड़ी समस्या नियोजन के प्रक्रिया को लेकर है.

STET अभ्यर्थी संघ के संरक्षक आदित्य नारायण पाण्डेय का नियोजन के मुद्दे पर कहना है कि सरकार नियोजन की प्रक्रिया को जान-बूझकर जटिल रखी हुई है ताकि नियोजन में देरी हो और अधिक अभ्यर्थियों का नियोजन न हो. उनकी मांग है कि नियोजन की प्रक्रिया को केंद्रीकृत किया जाय और एक अभ्यर्थी-एक आवेदन लिया जाय,नहीं तो इस प्रक्रिया से जाली अभ्यर्थियों के आने की संभावना हमेशा बनी रहेगी.
                                                                                                                                  जे.पी.चंद्रा की रिपोर्ट

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