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चिराग की सुरक्षा बढ़ने का मतलब, खत्म हो जाएगा ‘हनुमान’ का वनवास?

मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में

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सिटी पोस्ट लाइव :PM मोदी के हनुमान चिराग पासवान के दिन बहुरने वाले हैं.लम्बे वनवास के बाद अब उन्हें अपने प्रभु के चरणों में जगह मिलनेवाली है.उनके भगवन मोदी की कृपा एकबार फिर से उनके ऊपर हो गई है.लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को बीजेपी के साथ हमेशा खड़ा रहने का का फल मिलने लगा है. चिराग ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के तब के साथी दल नीतीश कुमार की जेडीयू की लुटिया डुबो दी थी. खार खाए नीतीश ने चिराग की पार्टी को एनडीए से बाहर का रास्ता दिखाने पर बीजेपी को मजबूर कर दिया था. इतना ही नहीं, उनकी लोक जनशक्ति पार्टी को दो फाड़ कराने में नीतीश की कम भूमिका नहीं थी.

लेकिन चिराग तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद बीजेपी के प्रति अपनी निष्ठा जताते रहे. खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे. इसका सुफल अब उन्हें मिलने लगा है. चिराग के साथ अब जेड सिक्योरिटी रहेगी.केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जमुई सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को Z श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करा दी है. उनकी सुरक्षा में अब 33 सुरक्षागार्ड तैनात होंगे. आईबी की रिपोर्ट के आधार पर चिराग को यह सुरक्षा दी गयी है.लेकिन राजनीतिक जानकार इसकी वजह चिराग की बीजेपी के प्रति निष्ठा बता रहे हैं.हाल ही में हुए बिहार असेंबली के उपचुनावों में चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने बीजेपी उम्मीदवारों की मदद की थी. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की लुटिया डुबोने का श्रेय भी चिराग को ही जाता है.

चिराग पासवान की पार्टी ने गृह मंत्रालय से चिराग पासवान की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी. आईबी की रिपोर्ट में भी चिराग को बिहार में जान का खतरा बताया गया था. इसीलिए उन्हें बिहार में जेड श्रेणी की सुरक्षा देने का फरमान केंद्र से आया. चिराग को जेड कैटगरी की सुरक्षा मिलने के बाद कयासबाजी भी शुरू हो गयी है. माना जा रहा है कि जल्दी ही मोदी कैबिनेट में होने वाले उलटफेर का लाभ चिराग पासवान को मिल सकता है. मोदी कैबिनेट में फिलवक्त मंत्री उनके चाचा और लोक जनशक्ति पार्टी के दूसरे गुट के नेता पशुपति पारस की छुट्टी हो सकती है. उस सीट पर चिराग पासवान को मौका मिल सकता है.

गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस ने अलग-अलग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. मुलाकात को औपचारिक बताया गया था, लेकिन इसी बीच चिराग को मिली जेड कैटगरी की सुरक्षा ने इस कयासबाजी को बल दिया है, जिसमें उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाये जाने की बात कही जा रही है.अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा छोटे दलों को अपने साथ जोड़ने के पक्ष में है. बीजेपी एनडीए के कुनबे को बढ़ाना चाहती है. अगले साल 10 राज्यों में असेंबली इलेक्शन भी होने हैं. उससे पहले ही बीजेपी ने यह टास्क पूरा करने की योजना बनायी है. वैचारिक विरोध के बावजूद मोदी सरकार के विकास के एजेंडे पर सहमत दलों को बीजेपी अपने साथ जोड़ना चाहती है.

बीजेपी महामंत्रियों की मंगलवार को हुई बैठक में मौजूदा और भावी सहयोगियों को लेकर मंथन हुआ था. बीजेपी अपने मिशन साउथ को सफल बनाने के लिए गठबंधन की शर्तों को लचीला बनाने पर भी विचार कर रही है. इसी रणनीति के तहत चिराग पासवान को भी बीजेपी अपना सहयोगी बना सकती है.लोक जनशक्ति पार्टी भले ही दो फाड़ हो गयी है, लेकिन चिराग पासवान अब भी बिहार में दलितों के बीच सर्वाधिक स्वीकार्य हैं. बिहार में तकरीबन 7 प्रतिशत वोटों पर लोक जनशक्ति पार्टी की पकड़ रही है. चिराग गुट के साथ आने से बीजेपी को 7 प्रतिशत वोटों का लाभ मिल सकता है. चुंकि चिराग मोदी के विकास एजेंडे के पक्षधर हैं, इसलिए बीजेपी उन्हें अपने पाले में लाना चाहती है.

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान दलितों और महादलितों को एकजुट कर नीतीश के खिलाफ उन्हें गोलबंद करने में लगे हुए हैं. अपनी मुहिम में चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इलाके नालंदा को चुना है. वे अपने कार्यकर्ताओं के लिए वहां प्रशिक्षण शिविर लगा चुके हैं. नीतीश पर हर वक्त वे हमलावर हैं. नीतीश मंत्रिमंडल के सहयोगी चंद्रशेखर के धार्मिक ग्रंथों पर दिये गये बयान को लेकर उन्होंने नीतीश पर ही हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि जो सीएम खुद विभाजन की राजनीति करता हो, उसके मंत्री से क्या उम्मीद की जा सकती है. नीतीश पर हमला बोलने का कोई भी मौका चिराग नहीं गंवाते.अब इसका ईनाम उन्हें मिल सकता है.

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