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केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं चिराग पासवान.

भादो और पितृपक्ष के बाद होगा आधिकारिक ऐलान,क्या होगा पशुपति परस का ,सबसे बड़ा सवाल.

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सिटी पोस्ट लाइव :नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ जाने के बाद एकबार फिर से एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान के दिन बहुरनेवाले हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवान राम और खुद को उनका हनुमान बताने वाले सांसद चिराग पासवान को मोदी की कैबिनेट में जगह मिल सकती है.चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर बातचीत फाइन हो चुकी है. धार्मिक मान्यताओं के तहत भादो और पितृपक्ष में कोई शुभ काम नहीं होता इसलिए इसके बीतने का इंतजार किया जा रहा है.

नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ जाने के बाद से बिहार में बीजेपी अकेली हो गई है. JDU के नुकसान की काफी हद तक भरपाई रामविलास पासवान की पार्टी और उनके बेटे चिराग पासवान ही कर सकते हैं. पुराने सहयोगी होने की वजह से चिराग को एनडीए में आने से कोई परहेज नहीं है लेकिन चिराग पासवान की कुछ शर्तें थीं. भाजपा ने अधिकतर शर्तों को मान लिया है.अब उनके बीजेपी के साथ जाने का रास्ता साफ़ हो गया है.

गौरतलब है कि चिराग पासवान की सबसे बड़ी शर्त अपने चाचा केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को एनडीए से बाहर का रास्ता दिखाने का है.अभीतक बीजेपी ने ये शर्त स्वीकार किया है या नहीं, खुलासा नहीं हुआ है.लेकिन इतना तो तय है कि एलजेपी से दो मंत्रियों को जगह नहीं मिलनेवाली.वैसे भी बीजेपी को पता है कि असली एलजेपी चिराग पासवान की है.एलजेपी के समर्थक चिराग को छोड़कर उनके चाचा पशुपति पारस के साथ जानेवाले नहीं हैं.

पार्टी सूत्रों के अनुसार चिराग पासवान ने जिन शर्तों को भाजपा के सामने रखा था वो आज भी कायम हैं. 95 प्रतिशत बातों को भाजपा की ओर से मान लिया गया है. सिर्फ 5 प्रतिशत ही बाकी है. पेंच सिर्फ NDA गठबंधन में शामिल और केंद्रीय मंत्री चाचा पशुपति कुमार पारस को लेकर फंसा है. इन्हें इस गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखाना ही होगा क्योंकि, इन्होंने न सिर्फ लोजपा को तोड़ा, बल्कि परिवार का भी बंटवारा कर दिया.

दूसरी शर्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू से हमेशा के लिए नाता तोड़ने को लेकर है. चिराग पासवान को गठबंधन में शामिल कराने की पहल भाजपा और केंद्र सरकार की तरफ से ही शुरू की गई है.चुनाव को ध्यान में रखते हुए हर पार्टी अपने हिसाब से प्लान तैयार करती है. जिस हिसाब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलटी मारी है, उस हिसाब से गठबंधन का स्वरूप और बड़ा होगा. यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आने वाले हैं. चुनाव के नजदीक आने पर स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सी पार्टी, किस तरफ रहती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चिराग पासवान के आदर्श रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दबाव में भाजपा का जो रवैया पिछले दिनों रहा, उससे चिराग थोडा नाराज जरूर थे. NDA नीतीश कुमार के चले जाने के बाद फिर से भाजपा की आंख खुली है तो चिराग उसका सहयोग करने के लिए तैयार है.लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए का प्रमुख हिस्सा रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा 6 सीटों पर जीती थी. वोट 8.02 फीसदी मिला था. रामविलास पासवान बिहार के 6% पासवान वोटों के साथ दलितों के सबसे बड़े चेहरे थे. 8 अक्टूबर 2020 को उनके निधन हो गया. इसी दौरान बिहार में विधानसभा चुनाव शुरू हो गए. एनडीए से अलग होकर चिराग पासवान ने चुनाव लड़ा. उन्होंने सीधे घोषणा कर दी कि वे नीतीश के साथ चुनाव नहीं लड़ सकते. मोदी से कोई बैर नहीं है.

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