सवर्ण आरक्षण मसले पर राजद में दिख रहा मतभेद ,मनोज झा ने कहा मैं पार्टी का मैसेंजर हूँ
सिटी पोस्ट लाइव – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मास्टर स्ट्रोक से विपक्ष अभी तक नहीं संभल पा रहा है. विरोधी दलों में घमासान मचा है. खासकर राजद के वरिष्ठ नेता जो सवर्ण हैं उनके पास अपने क्षेत्र के सवर्ण वोटरों का काफी दवाब है. ऐसे में पार्टी के अन्दर ही विरोध के सुर उठना लाजमी है. राजद पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए आरजेडी के सांसद मनोज झा ने कहा कि -” पार्टी की आधिकारिक राय होती है और मैं पार्टी का मैसेंजर हूं. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में जो मैंने राय रखी इसके लिए मेरे पास पार्टी नेता का मैसेज था. दस्तावेज और अध्ययन के बाद ही पार्टी की राय रखता हूं, इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं है.”
मनोज झा ने सफाई देते हुए कहा कि रघुवंश बाबू ने जो कहा, वह उनकी राय है, लेकिन मैंने पार्टी की आधिकारिक राय सदन में रखी, जो पार्टी के ट्वीटर हैंडल पर भी है. उन्होंने कहा कि रघुवंश बाबू बहुत उम्दा सोच के बेबाक राय रखने वाले समाजवादी नेता हैं. वो हर चीज पर बेबाक राय रखते हैं, लेकिन पार्टी की एक आधिकारिक राय होती है, मै तो एक मैसेंजर हूं. उन्होंने कहा कि हमारी डेमोक्रेटिक पार्टी में कई मसलों पर हमलोगों की राय एक-दूसरे से अलग होती है, लेकिन आधिकारिक राय सदन के पटल पर रखी जाती है. बीजेपी के नेताओं में भी आरक्षण को लेकर डर है कि -“गैर-कानूनी और असंवैधानिक काम किया है. सरकार ने बिना किसी दस्तावेज या अध्ययन के संविधान के साथ छेड़छाड़ की है. आरजेडी सांसद ने एक बार फिर आबादी के अनुसार आरक्षण की वकालत की.”
बता दें राजद के कदावर नेता एवं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने बुधवार को सवर्ण आरक्षण के मसले पर कहा था कि पार्टी से चूक हुई है. क्योंकि राजद हमेशा से सवर्ण आरक्षण के पक्षधर रही है. आपको बता दें कि राजद पार्टी ने इस बिल का संसद के दोनों सदनों में विरोध किया था.राजद का कहना था कि यह फैसला असंवैधानिक है तथा यह राजनीति से प्रेरित है.अगर 15 % आबादीवाले को 10 % आरक्षण दिया जा सकता है तो फिर 85 % जिनकी जनसँख्या है उन्हें 90% आरक्षण मिलना चाहिये . राजद के सांसद मनोज झा ने भी संसद में बहस के दौरान कहा था कि यह आरक्षण एकमात्र झुनझुना है. उन्होंने झुनझुना दिखाते हुए कहा था कि फिलहाल यह झुनझना सताधारी दल के पास है जो हिलता है लेकिन बजता नहीं है.
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