सिटी पोस्ट लाइव : बिहार बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलनेवाला है. पार्टी महागठबंधन को टक्कर देने के लिए किसे नया प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, इसब्की नजर इसी बात पर टिकी है.विधानसभा में विजय सिन्हा और विधान परिषद में सम्राट चौधरी जैसे युवा को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा बड़ा संदेश दे चुकी है. विजय सिन्हा सवर्ण, जबकि सम्राट चौधरी पिछड़ा वर्ग से आते हैं. अब भाजपा की नजर प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आधार मतदाता वाले अति पिछड़ी और दलित समुदाय के नेताओं पर टिकी है.
पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजीव चौरसिया रेस में सबसे आगे हैं. पटना में दीघा से विधायक संजीव चौरसिया राज्यपाल गंगा प्रसाद के पुत्र हैं. वे उत्तर प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी भी हैं. इसी वर्ग से आने वाले प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान पार्षद राजेंद्र गुप्ता भी इस दौड़ में शामिल हैं. अति पिछड़ा समाज से ही आने वाले मुजफ्फरपुर व अररिया के सांसद अजय निषाद और प्रदीप सिंह का नाम भी चर्चा में हैं. सीमांचल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जनभावना रैली के बाद प्रदीप सिंह चर्चा में आए हैं. पूर्व मंत्री जनक राम और संजय पासवान भी प्रबल दावेदार हैं. दोनों दलित समुदाय से आते हैं.
संजय जायसवाल को अगर कार्यकाल विस्तार मिलता है तो दोबारा अध्यक्ष बनने वाले वे दूसरे व्यक्ति होंगे. बिहार भाजपा के इतिहास में बकायदा चुनाव जीत कर दो बार प्रदेश अध्यक्ष बनने का रिकार्ड नंदकिशोर यादव के नाम दर्ज है.नंदकिशोर यादव पहली बार वर्ष 1998 में एकीकृत बिहार के प्रदेश अध्यक्ष बने थे. उसके दो वर्ष बाद बिहार और झारखंड का बंटवारा हो गया. 2000 में भाजपा ने अपने संविधान में संशोधन किया. तब दूसरी बार नंदकिशोर यादव को तीन वर्ष के लिए अध्यक्ष बनाया गया था. आगे चलकर धीरे-धीरे भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की परंपरा ही खत्म हो गई.
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