सभी राजनीतिक दल नाराज,उन्हें हंगामा नहीं चाहिए .अध्यादेश के जरिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देने की मांग.
नई दिल्ली, सिटीपोस्टलाईव :सुप्रीम कोर्ट एससी-एसटी एक्ट से जुड़े दिए अपने फैसले पर कायम है .कोर्ट ने अपने फैसले में बदलाव से साफ इंकार करते हुए कहा है कि उसने एससी- एसटीएक्ट के प्रावधानों को छुआ भी नहीं है, सिर्फ तुरंत गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्तियों पर लगाम लगायी है,जिसका दुरुपयोग हो रहा था .कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केस दर्ज करने, मुआवजा देने के प्रावधान पर कोई असर नहीं पड़ेगा .कोर्ट ने दो दिनों से अंदर सभी पार्टियों से इस मसले पर जवाब मांगा है और समीक्षा याचिका पर दस दिन बाद खुले कोर्ट में आगे सुनवाई करने का एलान किया है.
कोर्ट ने कहा है कि गिरफ्तार करने की शक्ति सीआरपीसी से आती है एससी-एसटी कानून से नहीं, हमने सिर्फ इस प्रक्रियात्मक कानून की व्याख्या की है, एससी एस्टी एक्ट की नहीं.कोर्ट ने एक्ट में बदलाव के विरोध पर 2 अप्रैल को हुए भारत बंद पर कहा, बाहर क्या हो रहा है हमे इससे मतलब नहीं हम सिर्फ कानून का पक्ष देखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा है कि वह इस ऐक्ट के खिलाफ नहीं है, लेकिन निर्दोषों को सजा नहीं मिलनी चाहिए. कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों पर तंज कसते हुए कहा है कि जो लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं उन्होंने हमारा जजमेंट पढ़ा भी नहीं है. हमें उन निर्दोष लोगों की चिंता है जो जेलों में बंद हैं.
गौरतलब है पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी गई थी. जबकि मूल कानून में अग्रिम जमानत की व्यवस्था नहीं की गई है. वहीं दर्ज मामले में गिरफ्तारी से पहले डिप्टी एसपी या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी आरोपों की जांच करेगा और फिर कार्रवाई होगी.
कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था और भारत बंद के दौरान जमकर हिंसा हुई थी .इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, थावरचंद गहलोत सहित कई सांसदों भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुके हैं और विपक्ष इस मामले को लेकर अध्यादेश लाने की मांग कर रहा है ,
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