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झारखंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखेगी ‘भोर’

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झारखंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखेगी ‘भोर’

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड-बिहार की महादलित सुमदाय की लड़की के संघर्ष और सपनों पर फिल्मायी गयी फिल्म ”भोर” रिलीज से पहले ही देश विदेश के फिल्म फेस्टिवल में धूम मचा चुकी हैं। इस फिल्म का अगला पड़ाव है एक फरवरी से आयोजित होने वाला झारखंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल है। जिसमें ”भोर” फिल्म, डायरेक्टरेट ऑफ फिल्म फेस्टिवल, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, की आधिकारिक एंट्री के तौर पर फेस्टिवल में शामिल की गयी है। एक फरवरी को स्क्रीन तीन में भोर फिल्म की स्क्रीनिंग 8.30 से 10.00 बजे तक की जायेगी। इससे पहले ”भोर” फिल्म 23 नवंबर’2018 को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया, गोवा में अपनी छाप छोड़ चुकी है। इस फेस्टिवल में भोर हिंदी कैटेगरी में फिल्म ”अक्टूबर” के साथ दिखायी गयी थी, जिसकी स्क्रीनिंग में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने भी शिरकत की थी। ”भोर” फिल्म देखने के बाद राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने जमकर तारीफ की थी और कहा था कि “बिहार से होने के बावजूद और वहां के ग्रामीण परिवेश को इतने बेहतर तरीके से नहीं समझ पायी थी, जितनी सजीवता के साथ भोर फिल्म ने मुझे समझाया है। बिहार-झारखण्ड के ग्रामीम अंचल का इससे रियल चित्रण मैने आज तक नहीं देखा। ‘भोर’ फिल्म के डायरेक्टर कामाख्या नारायण सिंह औऱ प्रोड्य़ूसर अंजनी कुमार सिंह दोनों ही बिहार की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं। दोनों की ही यह पहली फिल्म है। कामाख्या नारायण सिंह जाने-माने इंटरनेशनल ट्रेवल डॉक्यूमेंट्री डायरेक्टर हैं। बिहार की पृष्ठभूमि में एक लड़की के संघर्ष और प्रेरणा की कहानी ‘भोर’ फिल्म में है जिसमें एक नाबालिग लड़की बुधनी की कहानी है। जिसकी पढ़ने की उम्र में शादी कर दी जाती है, लेकिन अपने सपनों और इच्छा शक्ति के बूते पूरे देश में आंदोलन खड़ा कर देती है।डायरेक्टर के सामने चुनौती थी कि कैसे इस बोल्ड कहानी को सजीव तरीके से बड़े पर्दे पर उतारा जाये। इसीलिए भोर को रीयल सेट औऱ मुसहरों के गांव में, उन्हीं के बीच फिल्माया गया है। फिल्म की पूरी टीम महीनों तक बिहार के नालंदा जिले के पैंगरी गांव में रही। यहीं मुसहरों की बस्ती में रहकर कलाकारों को ट्रेनिंग दी गयी। जिसमें सूअर औऱ भैंस चराना,गोबर का गोएठा जैसे काम शामिल थे। कलाकार कैरेक्टर को समझ लें इसके लिए उन्हें मुसहरों के घरों में रखा गया, वो वहीं सोते, खाते और उन्हीं के कपड़े पहनते। जब तमाम कलाकार गांव के तमाम तौर-तरीके और भाषा सीख गये। तब इसी गांव की रीयल लोकेशंस पर फिल्म शूट की गयी। यहां भी फिल्म ने एक बड़ा वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया, फिल्म में एक आइटम गीत है। जिसका म्यूज़िक, सिंगिंग और फिल्मांकन रीयल टाइम में शूट किया गया। इस गीत को स्टूडियो में नहीं रीयल शूट करते हुए लोकेशन पर ही कंपोज औऱ फिल्माया गया। फिल्म में सावरी गौड़, देवेश रंजन और नलनीश नील मुख्य भूमिका में हैँ। इसके अलावा वरिष्ठ टीवी पत्रकार पूण्य प्रसून वाजपेयी भी इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका में दिखायी देंगे।

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