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“सरकार गठन विशेष” नई सरकार पर रार, बिहार के सीएम नीतीश कुमार बिफरे

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“सरकार गठन विशेष” नई सरकार पर रार, बिहार के सीएम नीतीश कुमार बिफरे

सिटी पोस्ट लाइव : लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी को अपने दम पर प्रचंड जीत मिली, वहीं एनडीए को ऐतिहासिक जीत मिली ।30 मई को एनडीए सरकार का गठन भी हो गया ।नई सरकार के सत्तासीन होने के क्रम में ही एनडीए के मजबूत साथी जदयू ने सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया ।नीतीश कुमार ने राजनीतिक महत्वाकांक्षा और दर्द को छुपाते हुए कहा कि उनकी पार्टी सरकार में अपनी आंशिक और हल्की भूमिका के लिए तैयार नहीं है ।सरकार में नहीं रहने के बाद भी,एनडीए में वे बेहद मजबूती के साथ हैं ।30 मई को हुए शपथ ग्रहण समारोह में देश से लेकर विदेश तक के सैंकड़ों मेहमान शामिल हुए ।नरेंद्र दामोदर मोदी के मंत्रिमंडल में 57 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई । इसमें 24 कैबिनेट मंत्री,9 स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री और 24 राज्य मंत्री शामिल हैं ।इसबार पूर्व के मंत्रिमंडल में भारी फेरबदल किया गया है।

मेनका गांधी,सत्यपाल सिंह, राज्यवर्धन सिंह राठौर,जेपी नड्डा,सत्यपाल सिंह,मनोज सिन्हा,अनुप्रिया पटेल,महेश शर्मा,उमा भारती,अनंत कुमार हेगड़े सहित 36 मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है ।सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने पहले ही,उन्हें मंत्री नहीं बनाया जाए,इसकी दरखास्त नरेंद्र मोदी से की थी ।मंत्रिमंडल में 31 पुराने और 26 नए चेहरे हैं ।सबसे अहम बात यह है कि इसबार के मंत्रिमंडल में 53 मंत्री सिर्फ बीजेपी से हैं और एनडीए के घटक दलों से सिर्फ चार सांसदों को मंत्री पद मिले हैं ।31 मई की दोपहर बाद मंत्री पद की घोषणा भी कर दी गयी ।राजनाथ सिंह की जगह अमित शाह को गृह मंत्रालय की जिम्मेवारी सौंपी गई है ।राजनाथ सिंह को नई जिम्मेवारी देते हुए,रक्षा मंत्रालय का जिम्मा मिला है ।निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री,नितीन गडकड़ी,सड़क,ट्रांसपोर्ट,राजमार्ग  और एमएसएमई मंत्री,नरेंद्र सिंह तोमर,कृषि मंत्री और रामविलास पासवान उपभोक्ता मामले और खाद्य मंत्री बनाये गए हैं ।बिहार से 6 सांसद को मंत्री पद की जिम्मेवारी मिली है जिसमें रामविलास पासवान,रविशंकर प्रसाद,गिरिराज सिंह कैबिनेट मंत्री और आर.के.सिंह को राज्य मंत्री(स्वतंत्र),अश्वनी चौबे और नित्यानंद राय राज्य मंत्री बनाये गए हैं ।

पिछली सरकार में सात महिलाएं मंत्री बनी थीं लेकिन इसबार 6 महिलाएं ही मंत्री बनने में कामयाब हो सकी हैं ।वैसे नियम की बात करें तो अभी 23 और मंत्री बनाये जाने शेष हैं ।यानि कहा जा सकता है कि इन बचे 23 मंत्रियों के दम पर,आगे एनडीए के अन्य घटक दल की नाराजगी दूर करने का विराट प्रयास किया जाएगा ।ये बांकि बचे 23 मंत्री पद बीजेपी और नरेंद्र मोदी के लिए संजीवनी और ब्रम्हास्त्र हैं ।इधर राजनाथ सिंह से गृह मंत्रालय छिनने से,देश भर से नाराजगी के स्वर उठ रहे हैं ।क्षत्रिय समाज,सवर्ण समाज से लेकर सर्वसमाज से यह सूचना मिल रही है कि लोगों को नरेंद्र मोदी का यह फैसला सही नहीं लग रहा है ।जनता एकबार फिर से राजनाथ सिंह को गृहमंत्री के तौर पर ही देखना चाहती थी ।देश के कई हिस्सों से ना केवल विरोध के मुखर स्वर सुनने को मिल रहे हैं बल्कि लोग सड़कों पर भी उतर कर अपना विरोध जता रहे हैं ।अमित शाह के लिए गृह मंत्रालय एक बड़ी चुनौती है ।उन्हें आगे खुद को साबित करना होगा ।राजनाथ सिंह के लिए भी रक्षा मंत्रालय,एक बेहद बड़ी चुनौती है ।

पाकिस्तान,चीन और नेपाल जैसे देश से बेहतर सम्बन्ध नहीं होना और पाकिस्तान और चीन से सीमा पर लगातार बनी युद्ध की स्थिति पर,उन्हें गम्भीरता से कदम बढ़ाने होंगे और मजबूत फैसले लेने होंगे ।वैसे इस बार नरेंद्र मोदी के लिए भी राह आसान नहीं है ।जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 ए को हटाना और कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाना, रोहिग्या मुसलमानों सहित बंगलादेशी घुसपैठियों पर ठोस कदम उठाना,अयोध्या में रामलला मंदिर का निर्माण,किसानों की समस्या का निदान,कृषि क्षेत्र में नई क्रांति लाना,रेलवे का विकास और सड़कों का जाल बिछाना, कुटीर,लघु और बड़े उद्योगों का सृजन,रोजगार का सृजन, आरक्षण का सदूपयोग और देश की आंतरिक व्यवस्था को सुदृढ़ रखना,जैसी अनगिनत चुनौतियां हैं ।उन्हें मुसलमानों का भरोसा भी जीतना है ।सभी धर्मों के रक्षार्थ,समान भाव और दृष्टि रखनी है ।देश की अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण,उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है ।विश्व में रुपये के महत्व और उसके वजन में अप्रत्यासित इजाफे की जरूरत है ।

जनता टैक्स में रियायत के साथ वृहत रोजगार सृजन की उम्मीद लगाए बैठी है ।सबका साथ और सबका विकास को फलीभूत करना और उसे जमीन पर उतार कर दिखाने की जरूरत है ।एनडीए,खासकर बीजेपी ने यह चुनाव राष्ट्रवाद और सबका साथ,सबका विकास के नाम पर लड़ा था ।जनता ने झोली खोलकर नरेंद्र मोदी को वोट देकर,उनकी पार्टी को मालामाल कर दिया है ।जनता ने अपना भरोसा दिखा दिया है ।अब बारी नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की है ।बिफरे बिहार के मुखिया नीतीश कुमार,मोदी सरकार से जदयू ने किया किनारानरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हो चुका है और मंत्री पद की भी घोषणा हो चुकी है ।30 मई को 57 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई लेकिन जनता दल यूनाइटेड इस मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुआ । जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी को सांकेतिक भागीदारी कबूल नहीं है ।नीतीश के टफ स्टैंड को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह,बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव सहित दूसरे बड़े नेताओं ने भी सॉफ्ट नहीं कर सके और अंत तक जदयू अपने निर्णय पर अडिग रहा ।

नीतीश कुमार काफी जिद्दी हैं,यह एकबार फिर जाहिर हो गया ।आखिर क्या चाहते थे नीतीश ?जदयू के अंदरूनी सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह और मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बहुत पहले ही यह स्टैंड ले लिया था कि यदि कैबिनेट या मंत्रिमंडल में जदयू को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता है तो मंत्री बनने की कोई जरूरत नहीं है और यही वजह रही कि जनता दल यूनाइटेड मंत्रिमंडल से दूर रहा । सरकार गठन से पहले जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंचे थे,तो उन्होंने अमित शाह से मुलाकात की थी ।अमित शाह ने काह था कि सहयोगी दलों को एक-एक मंत्री पद दिए जाने का फैसला हुआ है ।नीतीश कुमार ने अमित शाह को उसी समय कह दिया था कि आपका यह फार्मूला पार्टी को स्वीकार्य नहीं होगा लेकिन अपने दल के नेताओं से चर्चा करने की बात कह कर वहां से निकल गए थे ।ललन सिंह और आरसीपी सिंह को उन्होंने अमित शाह का संदेश सुनाया ।

दोनों नेताओं ने कहा कि यह तो पहले से ही तय था यदि सम्मानजनक प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाएगा तो पार्टी उस परिस्थिति में मंत्रिमंडल से बाहर रहेगी और मंत्री बनना कोई जरूरी नहीं है आरसीपी और ललन की बातों से नीतीश के स्टैंड को बल मिला और नीतीश, अपने स्टैंड पर कायम रह गए ।नीतीश कुमार कम से कम तीन से चार मंत्री पद चाहते थे ।वे आरसीपी सिंह,ललन सिंह और संतोष कुशवाहा को मंत्री बनाना चाहते थे ।उनकी दिली ईच्छा थी कि देश के सबसे पुराने सांसद और समाजवादी नेता शरद यादव को 3 लाख 20 हजार मतों से करारी शिकस्त देकर,एकतरह से शरद यादव की राजनीतिक यात्रा को खत्म करने वाले बिहार के मधेपुरा के सांसद दिनेश चंद्र यादव को भी मंत्री पद मिले ।दिनेश चंद्र यादव ने जाप संरक्षक पप्पू यादव की जमानत तक जब्त करवा डाली थी ।जदयू के भीतरखाने से मिली जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार तीन मंत्री पद पर रजामंद हो जाते लेकिन बीजेपी उन्हें एक मंत्री पद देकर, चिढ़ाने में लगी थी ।

लाख मनुहार के बाद भी नहीं माने नीतीश जनता दल यूनाइटेड,खास कर के नीतीश कुमार के टफ स्टैंड के बाद अमित शाह,भूपेंद्र यादव सहित दूसरे बड़े नेताओं ने मान-मनौव्वल की बहुत कोशिशें की लेकिन नीतीश अपने स्टैंड पर अड़े रहे ।अमित शाह और भूपेन्द्र यादव ने कई बार नीतीश कुमार से बात की लेकिन जनता दल यूनाइटेड ने अपने स्टैंड में कोई परिवर्तन नहीं लाया और पार्टी अपने फैसले पर कायम रह गई । समय बीतता जा रहा था लेकिन नीतीश कुमार ने अपना निर्णय नहीं बदला और उनकी पार्टी के दोनों प्रमुख नेता इस स्टैंड पर कायम रहे कि जदयू मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होगा ।नीतीश ने पहले की दो गलतियां, क्या फिर से होगी नई गलती ?नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए पहली गलती 2013 में की थी,जब वे एनडीए से अपने संबंध खत्म कर लिए थे ।उस समय राजद और कांग्रेस ने बाहर से समर्थन देकर नीतीश सरकार को बचाया था ।

दूसरी सबसे बड़ी गलती नीतीश कुमार ने 2015 में किया,जिसमें उन्होंने राजद और कांग्रेस से गठबन्धन कर के बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा ।यह वह समय था जब राजद और कांग्रेस अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाशने की भगीरथ कोशिश कर रही थी ।चुनाव परिणाम में राजद के बहुरंगी तो कांग्रेस के अच्छे दिन आ गए ।इस चुनाव में राजद को 81 सीटें,कांग्रेस को 27 सीटें और जदयू को 72 सीटें आईं ।बीजेपी को महज 53 सीटें मिलीं ।राजद बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर गयी ।नीतीश महागठबन्धन के नेता चुने गए और फिर से मुख्यमंत्री बन गए ।लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री और तेजप्रताल यादव स्वास्थ्य मंत्री बनाये गए ।लालू प्रसाद यादव इस सरकार के रिंग मास्टर थे और स्वतंत्र काम-काज के आदी नीतीश कुमार को जबरन सलाह देकर,वे लगातार परेशान करते थे ।आखिरकार तंग आकर 19 अगस्त 2017 को नीतीश कुमार ने महागठबन्धन से नाता तोड़ लिया और फिर से एनडीए में शामिल हो गए ।

फिर से बिहार में एनडीए की सरकार बन गयी और तभी से नीतीश कुमार निष्ठा के साथ एनडीए के साथ हैं ।अभी नीतीश सरकार में,बीजेपी के सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री,तो मंगल पांडे स्वास्थ्य मंत्री हैं ।तेजस्वी यादव सदन में नेता प्रतिपक्ष हैं ।केंद्र में बनी नई सरकार के गठन में जदयू के शामिल नहीं होने से लालू प्रसाद यादव के खेमे से एकबार फिर नीतीश कुमार को महागठबन्धन में शामिल होने का निमंत्रण मिल रहा है ।नीतीश कुमार को पलटू राम और पलटी मार चाचा कहकर बुलाने वाले तेजस्वी यादव,अब कह रहे हैं कि प्यारे चाचा,महागठबन्धन में आ जाईये ।हमलोग आपके स्वागत में खड़े हैं ।2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है ।राजनीतिक जानकारों की राय और खुद हमारी यह राय है कि नीतीश कुमार,अब अपने राजनीतिक जीवन में,कभी भी पाला नहीं बदलेंगे और वे एनडीए में ही बने रहेंगे ।

राजद के साथ कुछ महीनों के शासनकाल में ही, बिहार में फिर से सुशासन की जगह जंगलराज की तस्वीर दिखने लगी थी ।नवोदित सरकार में अभी मंत्रियों के 23 पद खाली हैं ।इसके अलावे अभी बनाये गए मंत्रियों के विभागों में भी फेर-बदल संभव है ।अगर नीतीश कुमार की तल्खी से एनडीए को कोई नुकसान होता दिखेगा,तो नरेंद्र मोदी एंड कम्पनी शेष बचे 23 मंत्री पद,अन्यथा और किसी जुगाड़ टेक्नोलॉजी से नीतीश कुमार सहित जदयू के सारे बड़े नेताओं को मना लेंगे ।आखिर में हम,हम ताल ठोंककर कहते हैं कि नरेंद्र मोदी,आने वाले दिनों में जदयू को सरकार में शामिल करवा कर ही रहेगी ।जाहिर तौर पर,कहीं कोई तल्खी और विवाद को नहीं रहने दिया जायेगा ।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप से सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट

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