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सबसे प्राचीनतम त्योहारों में से एक है रामनवमी, जानें पूजा की विधि

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सिटी पोस्ट लाइव: हिंदुस्तान में रामनवमी सबसे प्राचीन मनाये जाने वाले पर्वो में से एक है. कहा ये भी जाता है कि राम नवमी की तिथि ईसा पूर्व युग में वापस पता लगाया जा सकता है कि किस तरह हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है. संतो के मत ये भी है कि भगवान राम का जन्म एक लाखों वर्ष पूर्व हुआ था. युग की धारणा हमें पुराण और ज्योतिष में तीन तरह से मिलती है. पहली वह जिसमें एक युग लाखों वर्ष का होता है और दूसरी वह जिसमें एक युग 5 वर्ष का होता है और तीसरी वह जिसमें एक युग 1250 वर्ष का है, लेकिन पुराणों में जिन चार युगों की बात कही गई है वह लाखों वर्ष के हैं. जैसे सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है.

पुराणों के अनुसार, प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था. कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था. इसका मतलब 5123 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं. उपरोक्त मान से अनुमानित रूप से भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000 + कलियुग के 5122 वर्ष = 869123 वर्ष अर्थात 8 लाख 69 हजार 123 वर्ष हो गए प्रभु श्रीराम  को जन्म लिए हुए. रामनवमी का संदर्भ कालिका पुराण में भी उल्लेखित है. पूर्व के काल के बारे में कहा जाता है, जब जाति व्यवस्था भारत में प्रचलित था,  तब रामनवमी और कुछ अन्य त्योहारों को निचली जातियों (शूद्रों) को भी जश्न मनाने के लिए अनुमति दी गई थी. रामनवमी उन पांच प्रमुख पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है

वही रामचरितमानस में चैत्र शुक्ल नवमी को आज ही के दिन तेत्रा युग में रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ एवं महारानी कौशल्या के यहाँ अखिल ब्रम्हांड नायक अखिलेश ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था। दिन के बारह बजे जैसे ही सौंदर्य निकेतन, शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण कि‌ए हु‌ए चतुर्भुजधारी श्रीराम प्रकट हु‌ए तो मानो माता कौशल्या उन्हें देखकर विस्मित हो ग‌ईं। उनके सौंदर्य व तेज को देखकर उनके नेत्र तृप्त नहीं हो रहे थे. श्रीराम के जन्मोत्सव को देखकर देवलोक भी अवध के सामने फीका लग रहा था। देवता, ऋषि, किन्नार, चारण सभी जन्मोत्सव में शामिल होकर आनंद उठा रहे थे। आज भी हम प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव मनाते हैं और राममय होकर कीर्तन, भजन, कथा आदि में रम जाते हैं और मनोरम झांकियाँ निकलते है. “प्रभु राम की जन्म दिवस की वजह में इस चैत शुक्ल नवमी को रामनवमी के रूप में जाना जाता है.

रामनवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना का श्री गणेश किया था। राम नवमी के दिन जो कोई व्यक्ति दिनभर उपवास और रातभर जागरण का व्रत रखकर भगवान्‌ श्री राम की पूजा करता है, तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करता है, वह अनेक जन्मों के पापों को भस्म करने में समर्थ होता है।

ऐसे करें भगवान श्रीराम की पूजा

– राम नवमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के उत्तर भाग में एक सुंदर मंडप बनाएं। उसके बीच में एक वेदी बनाएं। उसके ऊपर भगवान श्रीराम व माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें।

– श्रीराम व माता सीता की पंचोपचार (गंध, चावल, फूल, धूप, दीप) से पूजन करें। इसके बाद इस मंत्र बोलें-

मंगलार्थ महीपाल नीराजनमिदं हरे।

संगृहाण जगन्नाथ रामचंद्र नमोस्तु ते।।

ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।

– इसके बाद किसी पात्र (बर्तन) में कपूर तथा घी की बत्ती (एक या पांच अथवा ग्यारह) जलाकर भगवान श्रीसीताराम की आरती करें.

इसके बाद फूल भगवान को चढ़ा दें और यह श्लोक बोलते हुए प्रदक्षिणा करें-

यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यादिकानि च।

तानि तानि प्रणशयन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।

इसके बाद भगवान श्रीराम को प्रणाम करें और कल्याण की प्रार्थना करें. विधिवत  रामनवमी की पूजा अर्चना एवं  व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. रामनवमी में हर वर्ष देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु रामजन्म भूमि अयोध्या पहुंचते हैं. सुबह से ही सरयू स्नान और मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है. इस दिन मंदिरों में बधाई और सोहर के गीत गूंजने लगते हैं. इस अवसर पर दूर-दराज से आए लोग भगवान राम के जन्म पर सोहर गीत गाते हैं और धूमधाम से नाचते हैं.

वही इस बारकोरोना की विषम परिस्थितियों को देखते हुए अयोध्या के संत समाज की तरफ से भी तमाम भक्तों से अपील की गई है कि वे रामनवमी के अवसर पर अयोध्या न आएं और घर पर रह कर  अपने आराध्य श्री राम की आराधना करें. संतों की मानें तो बाहर से आ रहे लोग अयोध्या में कोरोना का संक्रमण बढ़ा सकते हैं. ऐसे में प्रशासन के नियमों का सख्ती से पालन हो, इसी पर संत समाज भी जोर दे रहा है. बढ़ते कोरोना के प्रकोप से  इस वर्ष अयोध्या में रामनवमी का त्योहार भी बड़े स्तर पर नहीं मनाया जाएगा. राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद ये पहली रामनवमी है, ऐसे में आयोजन बड़े स्तर पर होने थे साथ ही कई तरह की तैयारी की जा रही थी, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप ने तमाम कार्यक्रमों पर अंकुश लगा दी है. कोरोना की लहर के मद्देनजर विशेषकर उत्तरप्रदेश ,बिहार एवं झारखण्ड सहित अन्य प्रदेशों में भी इस बार प्रशासन की तरफ से निजी या सार्वजनिक संस्था को भी रामनवमी पर कार्यक्रम एवं झांकी निकालने की छूट नही दी गई है.  आप सभी को सिटी पोस्ट लाइव की पुरी टीम की तरफ से रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

                                                                                                                                                       विकाश चंदन की रिपोर्ट

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