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फरिया जाएगा सीटों का मामला? तेजस्वी के साथ उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी भी पहुंच गये हैं रांची

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फरिया जाएगा सीटों का मामला? तेजस्वी के साथ उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी भी पहुंच गये हैं रांची

सिटी पोस्ट लाइवः एनडीए में सीट शेयरिंग पर खींचतान खत्म हुई तो ड्रामा महागठबंधन खेमें में शुरू हो गया है। सीटों की शेयरिंग में कई उलझने हैं जिसकों सुलझाने के लिए तेजस्वी यादव रांची के रिम्स पिता लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचे हैं। मामला कितना फरिया जाएगा यह तो आगे पता चलेगा लेकिन तयह है कि मुलाकात का मतलब मामला फरियाने की कोशिश हीं है। क्योंकि तेजस्वी यादव आज अकेले लालू यादव से मुलाकात नहीं करेंगे बल्कि उनके साथ महागठबंधन खेमे मंे आने वाले दो नये सहयोगी रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा और वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी भी होंगे। दरअसल महागठबंधन खेमें में नये सहयोगियों के आने से राजद का अपना समीकरण भी बिगड़ गया है। पेचिदगियां बढ़ गयी हैं और रूठने मनाने की राजनीति की तय रवायत से रूबरू होने की बारी अब राजद की है।

उपेन्द्र कुशवाहा की काराकाट सीट पर राजद की कद्दावर नेत्री पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह का दावा है, 2014 के लोकसभा चुनाव में कांति सिंह ने उपेन्द्र कुशवाहा के खिलाफ चुनाव लड़ा था और हार भी गयी थी। उपेन्द्र कुशवाहा के महागठबंधन में शामिल होने पर जब उन्हें अपनी उम्मीदवारी पर खतरा महसूस हुआ तो उन्होंने उपेन्द्र कुशवाहा पर हीं निशाना साध दिया था। कांति सिंह ने पत्रकारों को सलाह दी थी कि उपेन्द्र कुशवाहा से पूछा जाना चाहिए कि आखिर वे कब तक महागठबंधन में रहेंगे। उधर मुकेश सहनी के महागठबंधन में आने से कीर्ति आजाद के महागठबंधन में शामिल होने के कयास कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं क्योंकि महागठबंधन में मुकेश सहनी के शामिल होने के बाद उनकी दरभंगा सीट कंफर्म मानी जा रही है तो फिर सवाल यह है कि कीर्ति आजाद कहां से चुनाव लड़ेंगे।

इधर मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह का दावा है कि वे महागठबंधन से चुनाव लड़ेंगे, तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया है कि राजद में अनंत सिंह स्वीकार्य नहीं है, तो फिर क्या वे कांग्रेस से लड़ेंगे। अनंत सिंह को बैड एलिमेंट कहने वाले तेजस्वी यादव क्या यह मंजूर करेंगे की अनंत सिंह कांग्रेस के टिकट पर हीं सही महागठबंधन के उम्मीदवार हों। साफ है कि महागठबंधन में भी सीटों का मसला और दूसरे तमाम मसलों को सुलझाना आसान नहीं होगा। सबकुछ फरिया लेना एक चुनौती है और जाहिर है फरिया लेने के लिए हीं तेजस्वी यादव, उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी लालू दरबार में आज हाजिरी लगा रहे हैं। उधर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी महागठबंधन की अलग मुश्किल हैं। एनडीए को नागनाथ और महागठबंधन को सांपनाथ कहकर उन्हांने यह संकेत भी दे दिया है कि उनकी डिमांड भी पूरी होनी चाहिए। नहीं पूरी हुई तो फिर दोस्ती दरकनी तय मानिए। तो इन तमाम उलझनों को सुलझाने की कोशिश में तेजस्वी यादव आज लालू यादव से मिलेंगे। गठबंधन के दो सहयोगी उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी साथ हांेगे इसलिए यह साफ है कि सीटों पर मामला फरियाने की कोशिश होगी।

अंतिम वक्त में पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का आगमन टल गया. उनकी तरफ इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है. हाल के दिनों में लालू प्रसाद से बिहार के नेताओं के मुलाकात का सिलसिला बढ़ा है. जाहिर है 2019 से पहले अब हलचल तेज है और कोशिश बिना किसी विवाद के सहयोगियों को निपटा देने की है। हांलाकि यह सवाल बड़ा आम है बीजेपी और एनडीए के खिलाफ राजनीतिक दोस्ती कीमत मांगती है तो कीमत चुकाएगा कौन, त्याग कौन करेगा। नये सहयोगी तो अपने महत्कांक्षाओं के साथ जुड़े हैं, तो क्या कांग्रेस-राजद त्याग करेगी। उलझने बहुत हैं और इन उलझनों से उपजने वाली राजीतिक स्थिति परिस्थिति हर बदलते वक्त के साथ मामले को दिलचस्प बनाएगा। तस्वीर साफ होने में थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन इतना समझिए सियासत में इश्क और मुश्किल होता है, राजनीति में नयी दोस्ती कई बार भारी पड़ती है।

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