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नीतीश कुमार के किस मॉडल की देश भर में हो रही तारीफ, जानें

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सिटी पोस्ट लाइव : लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान प्रवासी मजदूरों (Migrant Laborers) को मदद पहुंचाने के लिए सभी राज्य सरकारें अपने अपने स्तर से काम कर रही हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है  बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के एक मॉडल की. बिहार सरकार (Bihar Government) ने लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे अपने प्रवासी मजदूरों के लिए एक ऐप (App) के जरिए पैसा भेजने की शुरुआत की थी. इस ऐप के जरिए अब तक तकरीबन 30 लाख आवेदन आ चुके हैं, जिसमें से तकरीबन 21 लाख लोगों को एक-एक हजार रुपये भेजे जा चुके हैं.

बिहार सरकार के इस मॉडल की अब देश के दूसरे राज्यों में भी चर्चा शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों ने भी इस मॉडल को लेकर बिहार सरकार से संपर्क किया है.लॉकडाउन के दौरान बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पं बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों के लाखों मजदूर महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा-पंजाब और दिल्ली-एनसीआर जैसे जगहों में फंस गए. जब इन प्रवासी मजदूरों को दिक्कतें होनी शुरू हुईं तो ये लोग अपने-अपने राज्य सरकारों की तरफ देखने लगे. मजदूरों की इस स्थिति को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने नोडल अधिकारियों की भी नियुक्ति की. नोडल अधिकारी के द्वारा मजदूरों के खाने-पीने और रहने से लेकर वापसी तक का भी बंदोबस्त करने को कहा गया.

प्रवासी मजदूरों की स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने भी अपनी मशीनरी लगा दी. बिहार सरकार ने ही सबसे पहले इन प्रवासियों के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजने की शुरुआत की. बिहार सरकार ने जियो फेसिंग की मदद से प्रवासियों को सहायता राशि भेजने के लिए एक खासतौर पर एक ऐप बनाया. प्रवासी मजदूरों को कहा गया है कि वे जहां हैं वहां से ही सेल्फी भेजें. इस सेल्फी को गूगल मैपिंग के जरिए आधार कार्ड से जोड़ा गया.

कोरोना महामारी को देखते हुए खासकर देश के दो बड़े राज्य यूपी और बिहार के सामने अपने प्रवासी मजदूरों को लेकर बहुत बड़ी चिंता थी. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के सामने बड़ी चुनौती थी कि अपने लोगों को मदद कैसे पहुंचाई जाए? इस स्थिति में नीतीश कुमार ने बिहार से बाहर फंसे प्रवासियों के खाते में एक-एक हजार रुपए भेजने का फैसला लिया. अधिकारियों के सामने यह चुनौती आन पड़ी  सही और गलत लोगों की पहचान कैसे की जाए?

राज्य सरकार ने बिहारी प्रवासी मजदूरों के लिए एक वेबसाइट शुरू किया .उस पर आवेदन करने के लिए एक लिंक उपलब्ध कराया. एक अधिकारी के मुताबिक, ‘यह ऐप एक ही समय कई तरह से काम करता है. ऐप में यह व्यवस्था की गई है कि सरकार के पीएफएमएस सिस्टम से वह बैंक खाते की जांच कर लेता है. आधार कार्ड की तस्वीर के जरिए पता लगाती है कि लाभार्थी बिहार का है कि नहीं. यह ऐप आधार कार्ड की ऑनलाइन जांच भी कर लेता है. आवेदक जहां है वहां से उसे एक सेल्फी अपलोड करने के लिए बोलता है. जियो टैगिंग से जुड़े होने की वजह से बता देता है कि किस जगह से तस्वीर ली गई है. इससे उस शहर की जानकारी मिल जाती है औैर फर्जीवाड़ा नहीं हो पाता.

बिहार सरकार के मुताबिक इस ऐप के जरिए अबतक 21 लाख से भी ज्यादा लोगों के एक-एक हजार रुपये भेजे जा चुके हैं. अभी तक एक भी शिकायत नहीं आई है कि किसी ने गलत ढंग से पैसे हासिल किए हैं. बिहार सरकार के एनआईसी द्वारा तैयार किए इस ऐप की दूसरे राज्यों ने भी सराहना की है. खासकर यूपी और झारखंड जैसे राज्य इस ऐप को अपने राज्यों में भी मजदूरों के मदद के लिए प्रभावी बनाना चाहते हैं.

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