सिटी पोस्ट लाइव, लखनऊ: आगरा जिला प्रशासन के बाद उप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा प्रियंका गांधी वाड्रा को नोटिस भेजे जाने के बाद कांग्रेस महासचिव ने शुक्रवार को ट्वीट कर योगी सरकार पर तंंज कसा है। प्रियंका वाड्रा ने कहा कि जनता के एक सेवक के रूप में मेरा कर्तव्य यूपी की जनता के प्रति है, और वह कर्तव्य सच्चाई को उनके सामने रखने का है। किसी सरकारी प्रॉपगैंडा को आगे रखना नहीं है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार अपने अन्य विभागों द्वारा मुझे फिजूल की धमकियां देकर अपना समय व्यर्थ कर रही है। जो भी कार्यवाही करना चाहते हैं, बेशक करें। मैं सच्चाई सामने रखती रहूंगी। मैं इंदिरा गांधी की पोती हूं, कुछ विपक्ष के नेताओं की तरह भाजपा की अघोषित प्रवक्ता नहीं। दरअसल उप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रियंका वाड्रा को नोटिस भेज कर उनसे कानपुर स्थित बालगृह (बालिका) को लेकर फेसबुक पर की गई टिप्पणी का तीन दिन के अन्दर खण्डन करने को कहा है। साथ ही, चेतावनी दी है कि अगर समय सीमा के अन्दर खण्डन नहीं किया गया तो बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम -2005 की धारा-13 की उपधारा -1 (जे) के साथ धारा-14 व 15 के तहत उचित कार्यवाही की जाएगी।
इसमें प्रियंका से कहा गया कि उन्होंने कानपुर स्थित बालगृह (बालिका) में निरुद्ध बालिकाओं के कोरोना जांच में 57 बालिकाओं में से 02 के गर्भवती होने और एक के एड्स पॉजिटिव होने के सम्बन्ध में फेसबुक पोस्ट किया था। इसके साथ ही प्रियंका ने कहा था कि बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह का पूरा किस्सा देश के सामने है। उत्तर प्रदेश में भी देवरिया से ऐसा मामला सामने आ चुका है। ऐसे में पुन: इस तरह की घटना सामने आना दिखाता है कि जांचों के नाम पर सब कुछ दबा दिया जाता है। लेकिन, सरकारी बाल संरक्षण गृहों में बहुत ही अमानवीय घटनाएं घट रही हैं। प्रियंका की इस पोस्ट को आयोग ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिनियम -2005 की धारा-13 (जे) के अन्तर्गत स्वत: संज्ञान में लिया। आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता के मुताबिक आयोग को प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक बालगृह (बालिका) में निरुद्ध बालिकाओं की कोविड-19 के दिशा निर्देशों के अनुसार जांच में 57 बालिकाएं संक्रमित पायी गयीं। सभी का प्राथमिकता के आधार पर उपचार कराया जा रहा है। डॉ. विशेष गुप्ता के मुताबिक इसके साथ ही न्यायपीठ बाल कल्याण समिति के आदेश से गृह में आने से पूर्व ही गर्भवती बालिकाएं इस बालिका गृह में निरुद्ध हुई हैं। बालिकाएं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख) अधिनियम-2015 एवं पॉक्सो एक्ट 2012 में निहित प्रावधानों के क्रम में सक्षम प्राधिकारी के आदेश से निरुद्ध की गई हैं। इनकी एचआईवी रिपोर्ट भी निगेटिव आयी है।
ऐसे में इनके विरुद्ध की गई भ्रामक टिप्पणी से न्यायपीठ बाल कल्याण समिति-सम्बन्धित न्यायालय के आदेश की अवमानना भी हुई है। साथ ही इन बालिकाओं को बेहद मासिक पीड़ा हुई है। निराधार व असत्य टिप्पणियों से इन्हें मानसिक आघात पहुंचा है। साथ ही प्रथम दृष्टया जेजे एक्ट-2015 की धारा 74 एवं पॉक्सो एक्ट-2012 की धारा 23 का उल्लंघन हुआ है। नोटिस में कहा है कि इसलिए बालगृह (बालिका) में निरुद्ध बालिकाओं के सम्बन्ध में की गई पोस्ट का तीन दिन में खण्डन करें। अन्यथा बालक अधिकार संरक्षण आयाग अधिनियम-2005 की धारा-13 की उप धारा 1 (जे), 14 व 15 के अन्तर्गत कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले, आगरा में कोरोना से हुई मौतों को लेकर प्रियंका गांधी के एक ट्वीट को भ्रामक बताते हुए वहां के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने उन्हें नोटिस दिया था।
Comments are closed.