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जिस दल का झारखंड में न सांसद और न ही विधायक, फिर भी चुनाव हारी प्रदेश अध्यक्ष को शामिल करा दांव खेल रही भाजपा

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जिस दल का झारखंड में न सांसद और न ही विधायक, फिर भी चुनाव हारी प्रदेश अध्यक्ष को शामिल करा दांव खेल रही भाजपा

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का झारखंड में न कोई लोकसभा सदस्य है और न ही विधानसभा का सदस्य। इसके बावजूद भाजपा उसपर दांव खेल रही है। पिछला विधानसभा चुनाव भी हार चुकीं राजद की प्रदेश अध्यक्ष रहीं अन्नपूर्णा देवी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल कराना बड़ी उपलब्धि के रूप में परोसा जा रहा है, जबकि परिस्थिति एकदम उल्टी है। इसके साथ ही कोडरमा से भाजपा के टिकट पर अन्नपूर्णा के चुनाव लड़ने की भी चर्चा है। इससे कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में न केवल जातीय समीकरण भी बिगड़ता नजर आ रहा है बल्कि भाजपा कार्यकर्ता भी इसे पचा नहीं पा रहे हैं। इस संबंध में भाजपा के कोडरमा जिलाध्यक्ष रामचंद्र सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर अन्नपूर्णा देवी के पार्टी में शामिल होने का जोरदार विरोध दर्ज कराते हुए डॉ. रवींद्र राय को ही पार्टी का प्रत्याशी बनाये जाने की मांग की है। जमीनी हकीकत भी देखी जाये तो अन्नपूर्णा को भाजपा में शामिल करवाकर पार्टी फंसती नजर आ रही है। हालांकि इसपर अभी भाजपा के लोग कुछ भी बोलने से किनारा कर रहे हैं क्योंकि अन्नपूर्णा को भाजपा में शामिल कराने में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव और झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास जैसे बड़े नेताओं का हाथ है। राजद से आयीं अन्नपूर्णा देवी को भारतीय जनता पार्टी की डॉ. नीरा यादव ने कोडरमा से पिछला विधानसभा चुनाव हराया था। इसके बावजूद उन्हें यादव जाति का मजबूत स्तंभ बताया जा रहा है। जबकि पहले से ही भाकपा माले के राजकुमार यादव कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से यादव जाति के बड़े नेता के रूप में स्थापित हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव 2009 और 2014 पर नजर डालें तो स्थिति बिल्कुल स्पष्ट दिखती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के डॉ. रवींद्र कुमार राय ने भारी मतों से राजकुमार यादव को हराया था। डॉ. राय को 3,65,410 (तीन लाख, पैंसठ हजार, चार सौ दस) वोट आये थे और राजकुमार यादव को 2,66,756 (दो लाख, छियासठ हजार, सात सौ छप्पन) वोट मिले थे। डॉ. राय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी माले के राजकुमार यादव को करीब एक लाख मतों के अंतर से पराजित किया था। जबकि कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार तिलकधारी सिंह को मात्र 60, 330 वोट मिले थे। उनकी जमानत जब्त हो गई थी। इससे पहले 2009 के चुनाव में भी माले के राजकुमार यादव दूसरे स्थान पर थे। ऐसी स्थिति में अन्नपूर्णा देवी को यादव नेत्री के रूप में भाजपा में शामिल कराने और कोडरमा से लोकसभा का टिकट देने से पार्टी को कितना लाभ होगा यह तो भविष्य बतायेगा। अगर जातीय आधार पर भी देखा जाये तो कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में यादवों के बाद सबसे बड़ी संख्या भूमिहारों की है। इसके बाद मुस्लिम और कुशवाहा जाति के लोग हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में भूमिहार जाति के करीब तीन लाख मतदाता हैं। अगर भाजपा डॉ. रवींद्र कुमार राय का टिकट काटती है तो वह एक बड़े जनाधार को खो देगी। इसका असर झारखंड के करीब पांच लोकसभा क्षेत्रों पर सीधा देखने को मिल सकता है। दुमका, गोड्डा, देवघर, चतरा, गिरिडीह, पलामू लोकसभा क्षेत्रों में भूमिहार जाति के मतदाता सीधे चुनाव पर असर डालने में सक्षम हैं। कोडरमा और चतरा में तो इस जाति के लोग चुनाव जिताने और हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा रांची, खूंटी, आदित्यपुर (सिंहभूम), हजारीबाग, पलामू के मेदिनीनगर, छतरपुर, पांकी और खूंटी में भी इस जाति का अच्छा-खासा प्रभाव है। छतरपुर से तो भूमिहार जाति के मोहन सिंह विधायक भी रह चुके हैं। डॉ. राय का भाजपा से टिकट कटने की चर्चा से भूमिहार मतदाताओं में भारी आक्रोश है। राजनीतिक विश्लेषकों का भी कहना है कि पूरे प्रदेश में भाजपा से भूमिहार जाति के सिर्फ एक ही उम्मीदवार हैं। अगर उनका भी टिकट कटता है तो भाजपा को भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। साथ ही उनके टिकट कटने की चर्चा से भाजपा के अलावा संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित अन्य संगठनों के लोगों की भी अच्छी प्रतिक्रिया नहीं है। ऐसी स्थिति में दो बड़े नेताओं के दबाव में राजद की अन्नपूर्णा देवी को भाजपा में शामिल करने के लिये गये निर्णय से भाजपा को नफा होता है या नुकसान, यह तो लोकसभा चुनाव का परिणाम ही बतायेगा।

डॉ. रवींद्र राय के कार्यकाल में ही झारखंड में पहली बार बनी पूर्ण बहुमत की सरकार 

डॉ. रवींद्र कुमार राय का भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद का कार्यकाल बहुत ही अच्छा रहा है। उनके नेतृत्व में पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में झारखंड की 14 सीटों में से 12 सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की थी। इसके साथ ही डॉ. राय के प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान ही पिछले विधानसभा चुनाव में झारखंड में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था और पूर्ण बहुमत की सरकार मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में बनी थी।

कोडरमा जिलाध्यक्ष ने लिखा पत्र, कहा- कार्यकर्ता मायूस, डॉ. राय को ही प्रत्याशी बनायें

राजद की प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी के भाजपा में शामिल होने की सूचना पर तीन दिनों पहले 25 मार्च को कोडरमा से भाजपा के जिलाध्यक्ष रामचंद्र सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर विरोध जताया है। साथ ही डॉ. रवींद्र कुमार राय को ही कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से पार्टी का प्रत्याशी बनाये जाने की मांग की है। पत्र में उन्होंने कहा है कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान सांसद डॉ. रवींद्र कुमार राय कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से सबसे उपर्युक्त उम्मीदवार होंगे। इनको प्रत्याशी बनाये जाने से समाज के सभी वर्गों का सहयोग प्राप्त होगा और पार्टी की जीत सुनिश्चित होगी। समाचारों में आ रही सूचना से भाजपा कार्यकर्ता मर्माहत और मायूस हैं। इस मायूसी के साथ कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतना संभव नहीं है। इसलिए कार्यकर्ताओं की भावनाओं और सामाजिक समीकरण को देखते हुए डॉ. रवींद्र कुमार राय को ही कोडरमा से पार्टी का प्रत्याशी बनाया जाये।

चतरा जिलाध्यक्ष भी अमित शाह को पत्र लिख जता चुके हैं विरोध, 3 सीटों पर फंसा पेंच 

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की तीन लोकसभा सीटों कोडरमा, चतरा और रांची से प्रत्याशियों के नामों की घोषणा अब तक नहीं हुई है जबकि राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर दिये गये। इन तीनों सीटों पर पार्टी फंस गई है। इसके साथ ही दल-बदल कर आये लोगों को जमीनी कार्यकर्ता स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। पार्टी का निर्णय गले की हड्डी बन गयी है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) की नीलम देवी को भारतीय जनता पार्टी में शामिल कराने से पार्टी के आम कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। चतरा के भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक कुमार शर्मा भी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर विरोध जता चुके हैं। वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब पार्टी में निष्ठा और समर्पण का कोई महत्व नहीं रह गया है। सिर्फ स्वार्थी तत्वों का बोलबाला हो गया है।
2014 चुनाव में कोडरमा (सामान्य) की स्थिति
रवींद्र कुमार राय (भाजपा) 3,65,410
राजकुमार यादव (माले) 2,66,756
तिलकधारी सिंह (कांग्रेस) 60,330

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